
गैस सिलेंडर का पाइप मुंह में रखकर चपरासी ने दी जान:
हरदा जिले में खेल विभाग के एक चपरासी ने आत्महत्या कर ली। उसने गैस सिलेंडर का पाइप मुंह में लगाकर खुद की जान ले ली। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि मृतक पिछले कई महीनों से ऑनलाइन गेमिंग में लाखों रुपये हार चुका था। कर्ज के बोझ और मानसिक तनाव के चलते उसने यह खौफनाक कदम उठाया।
घटना का विवरण
मामला हरदा शहर के एक आवासीय इलाके का है। मृतक की पहचान 38 वर्षीय [नाम] के रूप में हुई है, जो खेल एवं युवा कल्याण विभाग में चपरासी के पद पर कार्यरत था। शनिवार सुबह परिजनों ने उसे रसोईघर में अचेत अवस्था में पाया, जहां गैस सिलेंडर का पाइप उसके मुंह में लगा हुआ था। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
ऑनलाइन गेमिंग की लत बनी जानलेवा
जांच में पता चला कि मृतक लंबे समय से मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेल रहा था। शुरू में यह मनोरंजन के तौर पर शुरू हुआ, लेकिन धीरे-धीरे वह इसमें पैसे लगाने लगा। गेमिंग ऐप्स और सट्टेबाजी जैसे खेलों में हारते-हारते उस पर लाखों रुपये का कर्ज चढ़ गया। दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेने के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी।
मानसिक तनाव में डूबा था
पुलिस के अनुसार, मृतक के फोन से कई पेमेंट ऐप्स और गेमिंग ऐप्स के ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड मिले हैं। वह दिन-रात तनाव में रहता था और घरवालों से कम बातचीत करता था। घटना से एक दिन पहले भी उसने देर रात तक मोबाइल पर गेम खेला।
परिवार की हालत और बयान
मृतक के परिजनों का कहना है कि उन्होंने कई बार उसे गेमिंग छोड़ने के लिए समझाया, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था। कर्ज की किस्तें चुकाने के लिए उसकी सैलरी का बड़ा हिस्सा कट जाता था। आर्थिक संकट और मानसिक दबाव के कारण वह बेहद परेशान था।
पुलिस की जांच
थाना प्रभारी ने बताया कि मौके से सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, लेकिन मोबाइल और बैंक रिकॉर्ड के आधार पर जांच की जा रही है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही ऑनलाइन गेमिंग के ट्रांजैक्शन की भी साइबर सेल से जांच कराई जाएगी।
ऑनलाइन गेमिंग के खतरनाक असर
यह घटना एक बार फिर ऑनलाइन गेमिंग के खतरनाक पहलू को उजागर करती है। देशभर में कई युवा और वयस्क इस लत के कारण आर्थिक नुकसान और मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। कई राज्यों ने इस तरह के गेम्स पर रोक लगाने के लिए कानून बनाए हैं, लेकिन तकनीक के कारण इन्हें पूरी तरह नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण है।
विशेषज्ञों की राय
मनोचिकित्सकों का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत नशे की तरह काम करती है। लगातार हारने पर इंसान और अधिक पैसे लगाने लगता है, जिससे आर्थिक बर्बादी और मानसिक तनाव बढ़ता है। समय रहते काउंसलिंग और परिवार का सहयोग जरूरी है, ताकि ऐसे हादसे रोके जा सकें।
समाज के लिए सबक
मृतक की मौत परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, लेकिन यह घटना समाज के लिए भी चेतावनी है। जरूरत है कि लोग समय पर इस तरह की लत को पहचानें और रोकथाम के उपाय करें। सरकार, स्कूल-कॉलेज और सामाजिक संगठनों को मिलकर इसके खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।