पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ TMC ने अपने ही विधायक, मुर्शिदाबाद के भरतपुर से विधायक Humayun Kabir को सस्पेंड कर दिया है। उनकी निलंबन की घोषणा 4 दिसंबर 2025 को की गई।

यह कार्रवाई Humayun Kabir द्वारा हाल ही में यह ऐलान करने के बाद हुई कि वे मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में 6 दिसंबर 2025 को ‘Babri Masjid’ का शिलान्यास (foundation stone laying ceremony) करेंगे — यानी, अयोध्या में पूर्व में मौजूद विवादित मस्जिद की प्रतिकृति बनवाने की बात कही।
TMC के वरिष्ठ नेता और कोलकाता मेयर Firhad Hakim ने कहा कि Kabir की यह टिप्पणी “पार्टी की नीति और राज्य में सामाजिक–सद्भाव बनाए रखने की दिशा के खिलाफ” है। उन्होंने यह भी कहा कि Humayun Kabir को पहले तीन बार चेतावनी दी जा चुकी थी, लेकिन उन्होंने अपनी बयानबाजी नहीं रोकी — इसलिए अब उन्हें पार्टी से सस्पेंड करना पड़ा।
पार्टी के अनुसार, Humayun Kabir की यह हरकत “गंभीर अनुशासनहीनता” है। उस समय जब राज्य में शांति बनाई रखने की कोशिश हो रही थी, उन्होंने समाज में सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने वाला बयान दिया, जो अस्वीकार्य है।
राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि
पश्चिम बंगाल में, और देश के अन्य हिस्सों में भी, धार्मिक संरचनाओं के नाम पर राजनीति करना बेहद संवेदनशील होता है। इतिहास में, धार्मिक स्थलों के निर्माण या पुनर्निर्माण की मांगों ने कई बार सांप्रदायिक हिंसा व राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया है। इसलिए, किसी राजनीतिक दल के आंतरिक विधायक द्वारा ऐसी घोषणा करना — खासकर चुनाव के आस-पास — बड़े विवाद का कारण बन सकता है।
TMC के लिए, जो अक्सर खुद को “सौहार्द और धर्मनिरपेक्षता” के रक्षक के रूप में पेश करती रही है, ऐसी किसी भी बयानबाजी का मतलब दल की छवि और व्यापक सामाजिक संतुलन दोनों के लिए खतरा है। ऐसे में, Humayun Kabir जैसे विधायकों का अचानक इस तरह का निर्णय लेना, पार्टी के लिए दुविधा खड़ी कर देता है।
इतना ही नहीं — यदि इस तरह की घोषणाओं को प्राकृतिक राजनीतिक गतिविधियों के रूप में स्वीकार किया जाता, तो बाद में उससे कानून-व्यवस्था, समाजिक तनाव और राजनैतिक ध्रुवीकरण की स्थिति बन सकती थी।
इस संदर्भ में, TMC का यह फैसला न सिर्फ अपने नेताओं को अनुशासित करने का संकेत देता है, बल्कि यह दिखाता है कि पार्टी सांप्रदायिक राजनीति के नाम पर अस्थिरता को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ शून्य-सहनशीलता की नीति पर है।
Humayun Kabir की प्रतिक्रिया और आगे की तैयारी
निलंबन के तुरन्त बाद, Humayun Kabir ने कहा कि वे TMC छोड़ देंगे और 22 दिसंबर 2025 को एक नई राजनीतिक पार्टी लॉन्च करने की घोषणा करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य चुनावी मैदान में TMC और Bharatiya Janata Party (BJP), दोनों के खिलाफ लड़ना है।
कबीर का कहना है कि मस्जिद निर्माण उनका व्यक्तिगत अधिकार है, और उन्होंने इसे धार्मिक संवेदनाओं के आधार पर रखा है — न कि पार्टी लाइन के आधार पर। यह एक नया राजनीतिक मोड़ है, जो अगले कुछ हफ्तों में पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल ला सकता है।
विश्लेषण: क्या TMC का फैसला सही है?
मेरी राय में — हाँ, यह फैसला प्रासंगिक और ज़रूरी था। इसके कुछ प्रमुख कारण निम्न हैं:
सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की ज़रूरत: पश्चिम बंगाल जैसे विविध समाज वाले राज्य में, धार्मिक पहचान के आधार पर राजनीति करना संवेदनशील है। Kabir जैसे विधायक की अचानक ऐसी घोषणा करना — और वह भी उस तारीख (6 दिसंबर, जो ऐतिहासिक रूप से विवादित है) को चुनना — स्पष्ट रूप से तनाव पैदा करने वाला कदम था। इस बीच, TMC का अपना सौहार्द-संदेश बनाए रखना पार्टी की जिम्मेदारी है।
पार्टी की नीतियों के साथ असंगत व्यवहार: जब कोई विधायक पार्टी की मूल नीतियों (धर्मनिरपेक्षता, साम्प्रदायिक सद्भाव) के खिलाफ जाता है, तो उसे सज़ा देना — खासकर चेतावनी के बाद — अनिवार्य है। इससे अन्य नेताओं के लिए भी स्पष्ट संदेश जाता है।
राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता के लिए संकेत: इस सस्पेंशन ने दिखाया कि TMC संभावित उग्र राजनीति या सांप्रदायिक विभाजन के खिलाफ है, और वह सार्वजनिक मंच पर ऐसे बयानों को बढ़ावा नहीं देगी। यह फैसला भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में असरदार हो सकता है।
दूसरी ओर — आलोचक कह सकते हैं कि …
स्वास्थ्य-व्यक्तिगत धार्मिक आज़ादी: अगर Kabir का मकसद सिर्फ धार्मिक निर्माण था, तो क्या पार्टी को इसे पूरी तरह निजी मामला मानकर छोड़ देना चाहिए था?
लोकतांत्रिक बहस और धार्मिक स्वतंत्रता: भारत में धर्म और राजनीति अलग-थलग नहीं होते; धार्मिक पहचान का राजनीति में होना आम है। ऐसे में, संदेश देना चाहिए कि कब धार्मिक भावनाएं उकसाने वाली हों, और कब नहीं — यह तय करना किसका काम है? पार्टी का या समाज/जनमत का?
फिर भी, वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ (चुनावी माहौल, पिछली हिंसाओं का इतिहास, संवेदनशील धार्मिक माहौल) को देखते हुए — पार्टी द्वारा तुरंत और स्पष्ट कदम उठाना ज़रूरी था।
TMC ने Humayun Kabir को निलंबित कर स्पष्ट कर दिया है कि वह सांप्रदायिक भड़काऊ राजनीति के खिलाफ है। इस फैसले ने पार्टी की प्रतिबद्धता — धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक सौहार्द और राजनीतिक अनुशासन — को दोबारा पुष्ट किया है। अगले कुछ हफ्तों में Kabir की नई पार्टी और उनके राजनीतिक कदम पश्चिम बंगाल की सियासत को नया मोड़ दे सकते हैं।
