
राजस्थान के झालावाड़ में दर्दनाक हादसा: सरकारी स्कूल की छत गिरने से चार मासूमों की मौत, कई घायल ।
शिक्षा व्यवस्था पर फिर उठे सवाल, परिजन बोले – पहले मरम्मत होती तो जानें बच जातीं।
राजस्थान के झालावाड़ जिले से शुक्रवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। जिले के मनोहर थाना क्षेत्र के पीपलोदी गांव स्थित एक सरकारी स्कूल की छत अचानक भरभराकर गिर गई, जिसमें दबकर चार मासूम बच्चों की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के बाद पूरे इलाके में मातम पसरा है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति जबरदस्त आक्रोश देखा गया।
घटना का पूरा विवरण
घटना शुक्रवार सुबह करीब 9:30 बजे की है। पीपलोदी गांव में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में रोज़ की तरह बच्चे पढ़ाई में जुटे थे। इसी दौरान अचानक स्कूल की जर्जर छत भरभरा कर नीचे गिर गई। इस हादसे में कई बच्चे मलबे में दब गए। स्थानीय लोगों और स्कूल स्टाफ ने तत्परता दिखाते हुए तुरंत रेस्क्यू शुरू किया।
सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीमें भी मौके पर पहुंचीं। रेस्क्यू के दौरान चार बच्चों के शव मलबे से निकाले गए, जबकि करीब 8 से अधिक घायल बच्चों को झालावाड़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है।
मलबे में बच्चों की चीखें, तड़पते परिजन
हादसे के बाद स्कूल परिसर चीख-पुकार से गूंज उठा। स्कूल के आसपास जमा सैकड़ों ग्रामीण, मलबे से बच्चों को बचाने की कोशिश करते नजर आए। कुछ बच्चों को गंभीर चोटें आईं और उन्हें तुरंत अस्पताल भेजा गया।
घटना की जानकारी मिलते ही परिजन बदहवासी में स्कूल पहुंचे और अपने बच्चों को तलाशते रहे। अस्पताल में भी रोते-बिलखते माता-पिता की आंखों में सिर्फ एक ही सवाल था — “अगर समय रहते स्कूल की मरम्मत हो जाती, तो क्या ये हादसा नहीं टल सकता था?”
ग्रामीणों में गुस्सा, स्कूल भवन पर पहले भी जताई गई थी चिंता
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इस स्कूल की इमारत काफी पुरानी और जर्जर हालत में थी। कई बार शिक्षा विभाग और पंचायत से शिकायत की गई थी कि भवन की मरम्मत कराई जाए या नया भवन बनाया जाए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
ग्रामीणों का आरोप है कि लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से चार मासूमों को अपनी जान गंवानी पड़ी। घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
प्रशासनिक और राजनीतिक हलचल
झालावाड़ के कलेक्टर, एसपी और शिक्षा विभाग के अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। कलेक्टर ने मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
राजस्थान सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की गई है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए कहा –
वहीं विपक्ष ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था और सरकारी स्कूलों की हालत को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। उन्होंने स्कूल भवनों के निरीक्षण और सुरक्षा ऑडिट की मांग की है।
शिक्षा विभाग पर सवालों की बौछार
यह घटना शिक्षा विभाग की लापरवाही की एक और मिसाल बन गई है। सरकारी रिकॉर्ड में भवन की हालत “संतोषजनक” बताई गई थी, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत निकली।
एक तरफ सरकार “स्कूल चलें हम” जैसे अभियानों को बढ़ावा देती है, दूसरी तरफ बच्चों की सुरक्षा को लेकर ढील दिखाई जाती है। यह घटना फिर एक बार यह सवाल खड़ा करती है कि –
क्या शिक्षा सिर्फ कागजों पर चल रही है?
पीड़ितों की पहचान
अब तक जिन चार बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है, उनमें तीन लड़कियां और एक लड़का शामिल है। मृतकों की पहचान इस प्रकार है:
1. आरती मीणा (9 वर्ष)
2. राजेश बैरवा (10 वर्ष)
3. सोनू यादव (11 वर्ष)
4. गुड्डी मीणा (8 वर्ष)
घायलों में कुछ की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है और उन्हें विशेष चिकित्सा सुविधा के लिए कोटा रेफर किया गया है।
आगे की कार्रवाई
राज्य सरकार ने स्कूल भवनों की तत्काल जांच के आदेश दे दिए हैं। राजस्थान शिक्षा विभाग ने सभी जिलों से जर्जर भवनों की सूची तलब की है और अगले 10 दिनों के भीतर मरम्मत कार्य शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
इसके अलावा, एक विशेष टीम को भेजकर पीपलोदी स्कूल के निर्माण और निरीक्षण से जुड़ी फाइलों की जांच शुरू कर दी गई है।
झालावाड़ की इस त्रासदी ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि व्यवस्था की असफलता और लापरवाही की मार्मिक कहानी है। सवाल यह नहीं कि छत क्यों गिरी, सवाल यह है कि कब तक मासूम जानें लापरवाही की बलि चढ़ती रहेंगी?