UP सरकार स्कूलों में पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए लगातार नई पहलें शुरू कर रही है। इसी कड़ी में अब राज्य के सरकारी स्कूलों में “10 दिन बैगलेस क्लास” योजना लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य बच्चों के मानसिक दबाव को कम करना, सीखने की प्रक्रिया को आनंददायक बनाना और उन्हें वास्तविक जीवन कौशल सिखाना है। शिक्षा विभाग का मानना है कि पारंपरिक पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों का अनुभव आधारित सीखना भी जरूरी है, और बैगलेस क्लास इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।

बच्चों पर बढ़ते बोझ को लेकर उठी चिंताएँ
बीते कुछ वर्षों में अभिभावकों और शिक्षा विशेषज्ञों द्वारा बच्चों पर बढ़ते अकादमिक बोझ को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे। भारी स्कूल बैग, होमवर्क का दबाव, टेस्टों की तैयारी और रटकर सीखने की प्रवृत्ति बच्चों के लिए तनाव का कारण बन रही थी। इसी वजह से बच्चों के समग्र विकास पर भी असर पड़ता था।
सरकार ने इन चिंताओं को गंभीरता से लेते हुए बैगलेस डे की शुरुआत की और अब इसे 10 दिनों के कार्यक्रम में बदलकर और भी व्यापक बनाया है।
क्या है 10 दिन की बैगलेस क्लास योजना?
इस योजना के तहत बच्चों को 10 दिनों तक स्कूल आना होगा, लेकिन बिना बैग के। इस दौरान कोई पारंपरिक किताब-कॉपी नहीं होगी, न ही लेक्चर बेस्ड पढ़ाई। इसके बजाय बच्चे विभिन्न गतिविधियों, प्रयोगों, भ्रमण और कौशल आधारित सीखने में शामिल होंगे।
शिक्षा विभाग ने एक विस्तृत मॉड्यूल तैयार किया है जिसमें शामिल हैं—
कला, संगीत और नृत्य गतिविधियाँ
विज्ञान, गणित और पर्यावरण के सरल प्रयोग
स्थानीय स्थलों का शैक्षणिक भ्रमण
खेल और टीम-वर्क आधारित गतिविधियाँ
हैंड्स-ऑन प्रोजेक्ट वर्क
जीवन कौशल (Life Skills) सत्र
स्वच्छता, अनुशासन और सामाजिक व्यवहार पर विशेष कक्षाएँ
इस तरह बच्चों को किताबों की जगह अनुभवों से सीखने का मौका मिलेगा।
नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप कदम
UP सरकार की यह पहल नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार है, जिसमें रटकर पढ़ाई की बजाय अनुभव आधारित सीखने, कौशल विकास और रचनात्मक शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
बैगलेस डे का विचार NEP 2020 में स्पष्ट रूप से अनुशंसित है, और राज्य सरकार ने इसे जमीन पर उतारकर शिक्षा में नए बदलावों की शुरुआत की है।
शिक्षकों को दी गई विशेष ट्रेनिंग
योजना को सफल बनाने के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे कक्षाओं को ‘फन-बेस्ड’ और ‘एक्टिव लर्निंग’ वाली मॉड्यूल में बदल सकें।
शिक्षा विभाग ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि—
कोई बच्चा गतिविधि से बाहर न रहे
हर बच्चे को भाग लेने का मौका मिले
कक्षा का माहौल तनावमुक्त होना चाहिए
बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए पॉजिटिव रिइनफोर्समेंट का प्रयोग हो
बच्चों के लिए क्यों जरूरी है बैगलेस डे?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉडल बच्चों में
क्रिएटिविटी बढ़ाता है
सीखने में रुचि जगाता है
पढ़ाई का दबाव कम करता है
व्यावहारिक ज्ञान विकसित करता है
टीमवर्क और सामाजिक कौशल बढ़ाता है
कई शोध बताते हैं कि अनुभव से सीखी गई चीजें लंबे समय तक याद रहती हैं, जबकि रटकर सीखी गई जानकारी जल्दी भूल जाती है।
अभिभावक भी पहल से खुश
योजना के लागू होने के बाद कई अभिभावकों ने इसे सकारात्मक कदम बताया है। उनका कहना है कि इससे बच्चों में स्कूल के प्रति उत्साह बढ़ा है और वे पढ़ाई से तनावमुक्त महसूस कर रहे हैं।
कुछ अभिभावकों ने यह भी कहा कि बच्चा अब स्कूल से लौटकर अधिक बातें बताता है, क्योंकि उसने कुछ नया और मजेदार सीखा होता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रभाव
UP सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि योजना सिर्फ शहरों तक सीमित न रहे। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भी शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और विभिन्न गतिविधियों के लिए आवश्यक साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों को भी सहयोग के लिए शामिल किया गया है ताकि बच्चों का सीखना सिर्फ स्कूल तक सीमित न रहे बल्कि गाँव के परिवेश से भी जुड़ सके।
भविष्य में हो सकती है अवधि और बढ़
सूत्रों के अनुसार, यदि इस पहल से अच्छे परिणाम मिलते हैं तो इसे नियमित कैलेंडर में शामिल किया जा सकता है। यानी भविष्य में बैगलेस क्लास के दिनों की संख्या और बढ़ सकती है।
“10 दिन बैगलेस क्लास” UP सरकार की एक क्रांतिकारी पहल है, जो शिक्षा क्षेत्र में एक नया मॉडल लेकर आई है। इससे बच्चों के मन से पढ़ाई का डर कम होगा और वे सीखने को एक आनंददायक गतिविधि समझेंगे। यह कदम न केवल बच्चों को राहत देगा, बल्कि उनके समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
