
नई दिल्ली।
अमेरिका ने भारतीय नागरिकों के लिए वीजा इंटरव्यू नियमों में बड़ा बदलाव किया है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब हाल ही में अमेरिका ने आयात टैरिफ को लेकर भारतीयों को झटका दिया था। अब इस नए नियम से अमेरिका जाने वाले छात्रों, आईटी प्रोफेशनल्स और बिजनेस वीजा के आवेदकों को अतिरिक्त प्रक्रिया से गुजरना होगा। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसका सीधा असर भारतीय नागरिकों पर पड़ेगा जो अमेरिका में पढ़ाई, नौकरी या व्यापारिक कारणों से जाते हैं।
नया नियम क्या है?
अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास ने घोषणा की है कि अब अधिकांश वीजा कैटेगरी के लिए इन-पर्सन इंटरव्यू अनिवार्य होगा। पहले जहां कुछ वीजा कैटेगरी में इंटरव्यू वेवर (Interview Waiver) यानी बिना इंटरव्यू के वीजा जारी कर दिया जाता था, अब उसमें कटौती की गई है।
स्टूडेंट वीजा (F और M कैटेगरी)
टूरिस्ट वीजा (B1/B2)
बिजनेस वीजा
वर्क वीजा (H-1B, L1)
इन सभी के लिए अब इंटरव्यू की प्रक्रिया और सख्त कर दी गई है।

भारतीयों पर सीधा असर

भारतीयों पर सीधा असर
भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहां से हर साल लाखों लोग अमेरिका जाते हैं। शिक्षा, आईटी, हेल्थकेयर और रिसर्च सेक्टर में भारतीयों की बड़ी भूमिका है।
छात्रों के लिए चुनौती: नए इंटरव्यू नियम से अमेरिका में पढ़ाई करने की चाहत रखने वाले छात्रों को अतिरिक्त इंतजार करना पड़ सकता है। वीजा स्लॉट्स की कमी पहले से ही बड़ी समस्या रही है।
आईटी सेक्टर पर असर: भारत से अमेरिका में सबसे ज्यादा H-1B वीजा धारक आईटी सेक्टर से जुड़े होते हैं। अब उन्हें लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजरना होगा।
बिजनेस और टूरिज्म प्रभावित: छोटे व्यापारियों और टूरिस्ट्स के लिए भी अब अतिरिक्त दस्तावेज़ और इंटरव्यू अनिवार्य होंगे।
विशेषज्ञों की राय
दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ डॉ. अजय मिश्रा का कहना है –
“अमेरिका का यह कदम सुरक्षा और फेक डॉक्यूमेंटेशन को रोकने की दिशा में है। लेकिन इसका नकारात्मक असर भारत जैसे देशों पर पड़ेगा जहां बड़ी संख्या में लोग पढ़ाई और रोजगार के लिए अमेरिका जाते हैं।”
आईटी उद्योग संगठन NASSCOM ने भी चिंता जताई है। संगठन का कहना है कि इससे भारतीय टेक कंपनियों की ऑन-साइट वर्कफोर्स पर असर पड़ेगा और अमेरिकी कंपनियों को भी सही टैलेंट समय पर उपलब्ध नहीं हो पाएगा।
पॉलिसी एनालिसिस
अमेरिका लगातार अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी को सख्त कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों से H-1B वीजा पर नियंत्रण और इंटरव्यू प्रक्रिया को कठिन बनाया जा रहा है।
अमेरिका का दावा है कि इससे सुरक्षा मजबूत होगी और गलत जानकारी देने वालों की पहचान की जा सकेगी।
लेकिन भारत जैसे देशों के लिए यह आर्थिक और शैक्षणिक दोनों स्तर पर झटका है।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
पिछले दिनों अमेरिका ने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर टैरिफ ड्यूटी बढ़ाई थी। अब वीजा इंटरव्यू नियम में बदलाव से यह संदेश गया है कि अमेरिका भारतीय हितों को लेकर ज्यादा लचीला नहीं है।
कूटनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी के बावजूद ऐसे फैसले रिश्तों में तनाव पैदा कर सकते हैं।
छात्रों और पेशेवरों की चिंता
दिल्ली के छात्र रोहित शर्मा, जिन्हें अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से ऑफर मिला है, कहते हैं –
“हम पहले से ही स्लॉट्स की कमी और इंटरव्यू डेट्स के लिए परेशान थे। अब अगर हर किसी को इंटरव्यू देना होगा तो वीजा प्रोसेस में और देरी होगी।”
इसी तरह, आईटी इंजीनियर श्रेया सिंह का कहना है –
“H-1B वीजा इंटरव्यू पहले से ही लंबी प्रक्रिया है। अब इस बदलाव से हमें और दस्तावेज़ देने होंगे और समय भी बढ़ जाएगा। इससे हमारे प्रोजेक्ट्स की टाइमलाइन पर असर पड़ेगा।”
आगे क्या?
अमेरिका के इस कदम से भारतीय सरकार पर भी दबाव बढ़ सकता है कि वह इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाए। विदेश मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए आसान वीजा प्रक्रिया सुनिश्चित करना भारत की प्राथमिकता है।
यदि आने वाले महीनों में अमेरिका अपने निर्णय पर पुनर्विचार नहीं करता है तो इसका असर भारतीय स्टूडेंट्स की एडमिशन प्रक्रिया, आईटी कंपनियों की आउटसोर्सिंग स्ट्रैटजी और टूरिज्म सेक्टर पर साफ दिखाई देगा।