
उत्तराखंड त्रासदी: तबाह धराली अब नहीं बसेगा, पूरा गांव नई जगह शिफ्ट होगा ।
उत्तराखंड की भागीरथी घाटी का धराली गांव, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन के लिए जाना जाता था, अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। बीते दिनों आई भीषण आपदा में गांव की ज़मीन, मकान और रोज़गार सब कुछ मलबे में दब गया। सरकार ने घोषणा की है कि गांव को मौजूदा स्थान पर दोबारा नहीं बसाया जाएगा। पूरा गांव नई सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया जाएगा।
राज्य सरकार के मुताबिक, इस त्रासदी में 43 लोग अब भी लापता हैं, जिनकी तलाश का काम जारी है। आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा कि धराली में राहत और बचाव अभियान तेज़ी से चल रहा है, लेकिन भारी बारिश, गीली मिट्टी और भूस्खलन के खतरे से काम बेहद मुश्किल हो रहा है। कई जगह भारी मशीनें फंस गई हैं, जिसके चलते जवान हाथों से खुदाई कर लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं।
10 साल में तीसरी बड़ी आपदा
धराली पिछले एक दशक में तीन बड़ी प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हो चुका है। 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद यहां भारी भूस्खलन हुआ था। 2021 में बर्फीली झील फटने से गांव के किनारे का बड़ा इलाका नदी में समा गया। और अब 2025 में आई इस तबाही ने गांव को पूरी तरह उजाड़ दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर बार सरकार ने मरम्मत और पुनर्वास के वादे किए, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला। इस बार हालात इतने खराब हैं कि पुराने गांव को छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
आंखों देखा हाल
आपदा के वक्त कई लोग अपने घरों में थे, कुछ खेतों और बगीचों में काम कर रहे थे। अचानक तेज़ गर्जना और मलबे की गड़गड़ाहट ने पूरे गांव को दहला दिया। कुछ ही मिनटों में मकान, होटल, दुकानें और खेत सब मलबे में दब गए। बचे हुए लोग किसी तरह ऊंचाई की ओर भागकर अपनी जान बचा पाए।
स्थानीय निवासी गंगाधर ने बताया, “हमने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई इस गांव में लगाई थी। अब हमारे पास सिर्फ कपड़े और थोड़ी-सी बची हुई चीज़ें हैं।”
सरकार का रुख
मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वे किया और कहा कि धराली को वर्तमान स्थान पर बसाना असंभव है। वैज्ञानिकों और भू-वैज्ञानिकों की टीम ने रिपोर्ट दी है कि यहां की ज़मीन बेहद अस्थिर हो चुकी है, और भविष्य में भी भूस्खलन का खतरा रहेगा। सरकार ने निर्णय लिया है कि गांव को सुरक्षित स्थान पर पुनः बसाया जाएगा।
इसके लिए पुनर्वास पैकेज की घोषणा जल्द की जाएगी। प्रत्येक प्रभावित परिवार को मुआवज़ा, नया प्लॉट और घर बनाने में मदद दी जाएगी।
राहत और बचाव
वर्तमान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और स्थानीय पुलिस राहत कार्यों में लगी है। बचाव दल लगातार मलबा हटाकर फंसे हुए लोगों को खोजने का प्रयास कर रहे हैं। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे राहत कार्यों में रुकावट आ रही है।
अब तक दर्जनों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है और अस्थायी शिविरों में ठहराया गया है, जहां भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
टूटा पर्यटन और आजीविका
धराली और आसपास का इलाका उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक था। यहां से हर्षिल, गंगोत्री और कई ट्रैकिंग रूट्स का रास्ता जाता है। आपदा से पहले गांव में होमस्टे, होटल और दुकानें लोगों की रोज़ी-रोटी का मुख्य साधन थीं। अब गांव के उजड़ने से पर्यटन उद्योग पूरी तरह ठप हो गया है।
स्थानीय लोग चिंतित हैं कि नए स्थान पर बसने के बाद भी पर्यटक उतनी संख्या में आएंगे या नहीं।
दर्द भरी विदाई
धराली के लोग जानते हैं कि अब वे अपने जन्मस्थान, खेतों, मंदिरों और बचपन की गलियों को कभी नहीं देख पाएंगे। गांव की बुजुर्ग महिला चंद्रो देवी कहती हैं, “हमने यहीं शादी की, बच्चों को पाला, तीज-त्योहार मनाए… अब यह सब सिर्फ यादों में रहेगा।”
विशेषज्ञों की चेतावनी
भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तराखंड के कई पर्वतीय गांव जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित निर्माण और भूकंपीय गतिविधियों के कारण खतरे के दायरे में हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि सरकार को जोखिम वाले इलाकों की पहले से पहचान कर वहां के लोगों का समय पर पुनर्वास करना चाहिए, ताकि धराली जैसी त्रासदियां दोबारा न हों।
धराली की यह कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि हिमालयी क्षेत्र में बसे सैकड़ों गांवों की चेतावनी है, जो हर साल प्रकृति के प्रकोप का सामना करते हैं।