
कटरा (जम्मू-कश्मीर): 22 दिनों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र मां वैष्णो देवी यात्रा एक बार फिर से शुरू हो गई है। जैसे ही माता के दरबार की ओर जाने वाले मार्ग खुले, पूरा वातावरण “जय माता दी” के जयकारों से गूंज उठा। भक्तों की आंखों में आंसू थे, चेहरों पर मुस्कान और दिलों में आस्था की नई ऊर्जा।
22 दिनों का इंतजार क्यों?
वैष्णो देवी यात्रा को सुरक्षा कारणों और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते अस्थायी रूप से बंद किया गया था। लगातार भूस्खलन, बारिश और सुरक्षा कारणों से यात्रा को स्थगित करना पड़ा। यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया था।
स्थानीय प्रशासन, श्राइन बोर्ड और सुरक्षाबलों ने दिन-रात मेहनत करके मार्ग की मरम्मत की, सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया और आज यात्रा को पुनः खोलने का बड़ा निर्णय लिया।
श्रद्धालुओं का उत्साह
जैसे ही यात्रा फिर से शुरू होने की खबर आई, देशभर से भक्त कटरा पहुंचने लगे। होटल, धर्मशाला और अतिथि गृह श्रद्धालुओं से भरने लगे। रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर भारी भीड़ देखी गई।
पहली सुबह जब यात्रा शुरू हुई, तो हजारों श्रद्धालु एक साथ भक्तिगीत गाते हुए, ढोल-नगाड़ों के साथ और “जय माता दी” के नारों के बीच भवन की ओर रवाना हुए।
माता वैष्णो देवी धाम का महत्व
वैष्णो देवी का धाम भारत के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक है। त्रिकुट पर्वत पर स्थित यह धाम हर साल करोड़ों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मान्यता है कि यहां मां वैष्णो देवी तीन पिंडियों के रूप में विराजमान हैं, जो महाकाली,4 महालक्ष्मी और महासरस्वती का प्रतीक हैं।
भक्तों का विश्वास है कि माता के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। यही कारण है कि यहां आने वाले श्रद्धालु लाखों की संख्या में हर साल पहुंचते हैं।
यात्रा का मार्ग और सुविधाएं
श्रद्धालुओं के लिए यात्रा का मार्ग 13 किलोमीटर लंबा है, जो कटरा से भवन तक जाता है। इस मार्ग पर घोड़े, पालकी, बैटरी कार और हेलीकॉप्टर जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड लगातार सुविधाओं को बेहतर बनाने में जुटा है। इस बार यात्रा शुरू होने से पहले मार्ग पर अतिरिक्त लाइट, CCTV कैमरे, चिकित्सा केंद्र और विश्राम स्थल बनाए गए हैं।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
जम्मू-कश्मीर पुलिस, CRPF और श्राइन बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों ने यात्रा मार्ग पर कड़ी निगरानी रखी है। हर श्रद्धालु को यात्रा पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया है। RFID कार्ड, CCTV और ड्रोन की मदद से सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।
व्यापारियों और स्थानीय लोगों में खुशी
22 दिनों से यात्रा बंद रहने के कारण स्थानीय व्यापारियों, होटल संचालकों और टैक्सी चालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन अब यात्रा शुरू होने से उनके चेहरे भी खिल उठे हैं। बाजारों में रौनक लौट आई है और दुकानें एक बार फिर श्रद्धालुओं से भर गई हैं।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
वैष्णो देवी यात्रा सिर्फ एक तीर्थ यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, शक्ति और विश्वास का प्रतीक है। माता के दरबार तक पहुंचना एक आध्यात्मिक अनुभव है। भक्त मानते हैं कि यहां पहुंचने के बाद उन्हें अद्भुत शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
भक्तों की भावनाएं
पहली ही सुबह कटरा से भवन तक यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं ने कहा – “22 दिनों का इंतजार बहुत मुश्किल था, लेकिन जैसे ही माता के दरबार तक पहुंचे, सारे दुख-दर्द मिट गए।”
कुछ श्रद्धालुओं ने इसे “जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य” बताया। वहीं बुजुर्ग और छोटे बच्चे भी इस यात्रा में पूरे उत्साह के साथ शामिल हुए।
आने वाले त्योहारों पर बढ़ेगी भीड़
नवरात्र, दशहरा और दिवाली जैसे बड़े पर्व नजदीक हैं। ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ कई गुना बढ़ जाएगी। श्राइन बोर्ड ने इसको ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त सुविधाओं और सुरक्षा की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
पर्यटन और अर्थव्यवस्था को सहारा
वैष्णो देवी यात्रा से हर साल जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिलता है। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल धार्मिक यात्रा करते हैं, बल्कि स्थानीय पर्यटन, खरीदारी और भोजन में भी योगदान देते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रा शुरू होने से अब स्थानीय अर्थव्यवस्था में फिर से तेजी आएगी।
22 दिनों के लंबे इंतजार के बाद जब वैष्णो देवी यात्रा फिर से शुरू हुई, तो भक्तों का उत्साह चरम पर था। माता के दरबार तक पहुंचने का अनुभव श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय रहा।
यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि भक्ति, विश्वास और शक्ति की अनोखी मिसाल है। आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की भीड़ और बढ़ेगी और “जय माता दी” के जयकारे एक बार फिर त्रिकुट पर्वत की घाटियों में गूंजेंगे।