
Varanasi: काशी में मोरारी बापू की रामकथा पर विवाद: पत्नी के निधन के दो दिन बाद कथा शुरू करने पर संत समाज नाराज़, पुतला जलाकर विरोध।
वाराणसी। वाराणसी में प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू की कथा को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। दो दिन पहले उनकी पत्नी का निधन हुआ, और उसी के तुरंत बाद वे काशी में श्रीराम कथा के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दर्शन भी किए। इस पर काशी के सनातनी परंपरा से जुड़े लोगों और संत समाज ने तीखा विरोध दर्ज कराया है।
सनातनी समाज का आरोप: सूतक में पूजा और कथा वर्जित
काशी के कई सनातन धर्मावलंबियों का कहना है कि जब परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, तो सूतक (शोक का काल) लगता है। इस दौरान किसी भी धार्मिक कार्य जैसे पूजा, दर्शन, कथा और भजन आदि का आयोजन वर्जित माना जाता है। मोरारी बापू ने इस परंपरा का उल्लंघन किया है।
गुस्साए लोगों ने रविवार को गोदौलिया चौराहा पर मोरारी बापू का पुतला फूंका और उनका कार्यक्रम रोकने की मांग की। सोशल मीडिया पर भी विरोध के स्वर तेज हो गए हैं।
मोरारी बापू ने दी सफाई: हम वैष्णव हैं, सूतक लागू नहीं होता
विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए मोरारी बापू ने कहा,
“हम लोग वैष्णव परंपरा से आते हैं। जो लोग भजन और पूजन में लीन रहते हैं, उनके लिए सूतक का नियम लागू नहीं होता। हमें भगवान का स्मरण सुकून देता है, न कि सूतक। इस पर विवाद नहीं होना चाहिए।”
बापू के इस बयान पर भी विरोधियों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह धार्मिक नियमों की अनदेखी है और इससे सनातन धर्म की मर्यादा को ठेस पहुंचती है।
बाबा विश्वनाथ मंदिर में 30 मिनट रहे बापू
शनिवार को मोरारी बापू ने काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचकर दर्शन और जलाभिषेक किया। वे लगभग 30 मिनट तक मंदिर परिसर में रहे। मंदिर प्रबंधन की ओर से उन्हें अंगवस्त्र और प्रसाद भेंट किया गया। इसके बाद बापू ने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में श्रीराम कथा की शुरुआत की।
“ऑपरेशन सिंदूर” थीम पर आधारित कथा
इस बार बापू की कथा की थीम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आधारित है, जो सामाजिक और धार्मिक मूल्यों को जोड़ने वाली कथा कही जा रही है। यह कथा 22 जून तक चलेगी और इसे सुनने के लिए 3 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। यह मोरारी बापू की 958वीं राम कथा है।
संत समाज ने जताई नाराज़गी
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने मोरारी बापू की आलोचना करते हुए कहा,
“सूतक काल में कथा कहना धर्म के विरुद्ध है। यह कार्य अर्थ (पैसे) की कामना से प्रेरित प्रतीत होता है। मोरारी बापू को इस काल में रामकथा नहीं करनी चाहिए थी। यह समाज और सनातन संस्कृति के लिए निंदनीय है।”
मोरारी बापू जैसे बड़े संत द्वारा सूतक के दौरान कथा कहना धार्मिक परंपराओं और सामाजिक मान्यताओं को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ रहा है। एक ओर भक्तों और समर्थकों का कहना है कि ईश्वर का स्मरण हर समय शुभ होता है, वहीं दूसरी ओर परंपराओं के पालन पर अडिग लोग इसे धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन मान रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि मोरारी बापू इस विवाद को किस तरह शांत कर पाते हैं और क्या संत समाज उनकी सफाई से संतुष्ट होता है या नहीं।