सरकारी स्कूल में बच्चे से पैर दबवाती टीचर का वीडियो वायरल, बोलीं— क्लास के गड्ढे में मुड़ा था पैर

सरकारी स्कूल में बच्चे से पैर दबवाती टीचर का वीडियो वायरल, बोलीं— क्लास के गड्ढे में मुड़ा था पैर

सरकारी स्कूल में पढ़ाई के दौरान एक टीचर का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे एक छात्र से पैर दबवा रही हैं। वीडियो में साफ दिख रहा है कि कक्षा के एक कोने में बैठी महिला शिक्षक अपनी कुर्सी पर हैं और बगल में खड़ा एक छात्र उनके पैर दबा रहा है। घटना का वीडियो सामने आने के बाद शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन में हलचल मच गई है।

घटना का विवरण
मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला जिले के एक प्राथमिक/मध्य विद्यालय का है। वीडियो में दिखाई दे रही शिक्षिका का कहना है कि कक्षा के फर्श में गड्ढा था, जिसमें पैर फंसकर उनका टखना मुड़ गया। दर्द की वजह से उन्होंने छात्र को पैर सहलाने के लिए कहा। उनका दावा है कि यह कोई जबरन काम नहीं था, बल्कि छात्र ने स्वेच्छा से सहारा दिया था।

सोशल मीडिया पर बहस
वीडियो सामने आने के बाद अभिभावकों और आम लोगों के बीच बहस शुरू हो गई है। कुछ लोग इसे शिक्षक के पेशे के खिलाफ बताते हुए निंदा कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षक को छात्रों से निजी काम नहीं कराना चाहिए, चाहे परिस्थिति कोई भी हो। वहीं, कुछ लोग शिक्षिका का समर्थन कर रहे हैं, उनका कहना है कि अगर बच्चा मदद कर रहा था तो इसे गलत नजरिए से नहीं देखना चाहिए।

शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा, “वीडियो में जो भी दिख रहा है, उसकी पूरी सच्चाई सामने लाई जाएगी। यदि यह आचरण नियमों के खिलाफ पाया गया तो कार्रवाई होगी।” विभाग ने स्कूल प्राचार्य से भी रिपोर्ट मांगी है।

स्थानीय लोगों की राय

गांव के कुछ अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में अनुशासन और मर्यादा बनी रहनी चाहिए। एक ग्रामीण ने कहा, “शिक्षक हमारे बच्चों के आदर्श होते हैं। ऐसे दृश्य बच्चों के मन पर गलत असर डाल सकते हैं।” वहीं, एक अन्य अभिभावक का कहना है कि यह मामूली बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।

वीडियो वायरल होने का असर
इस घटना के बाद स्कूल प्रबंधन में भी असहज माहौल है। कई शिक्षक इस बात से चिंतित हैं कि मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के इस दौर में किसी भी छोटी घटना को तुरंत रिकॉर्ड कर वायरल कर दिया जाता है, जिससे उनकी छवि प्रभावित होती है।

विशेषज्ञों की राय

शिक्षा मनोविज्ञान के जानकारों का कहना है कि शिक्षक-छात्र संबंध पूरी तरह पेशेवर और प्रेरणादायक होने चाहिए। अगर छात्र से कोई मदद भी लेनी हो, तो वह कक्षा के बाहर और अन्य वयस्कों की मौजूदगी में होनी चाहिए, ताकि कोई गलतफहमी न हो।

यह मामला फिलहाल जांच के अधीन है और प्रशासन की रिपोर्ट के बाद ही तय होगा कि शिक्षिका का आचरण नियमों के विपरीत था या नहीं। लेकिन इस घटना ने यह जरूर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि शिक्षक-छात्र संबंधों में मर्यादा और विश्वास बनाए रखने के लिए किन मानकों का पालन होना चाहिए।

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