
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
हर साल भगवान विश्वकर्मा की जयंती भाद्रपद मास के सूर्यकन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन को उद्योग, तकनीक और कारीगरी से जुड़े लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का प्रथम शिल्पकार और वास्तुकार माना जाता है। उनके द्वारा ही सोने की लंका, द्वारका नगरी और इंद्रप्रस्थ का निर्माण किया गया था। यही कारण है कि विश्वकर्मा पूजा का दिन कारखानों, फैक्ट्रियों, कार्यालयों और दुकानों के लिए शुभ माना जाता है।
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 2025
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वर्ष 2025 में विश्वकर्मा पूजा का शुभ समय प्रातःकाल से दोपहर तक रहेगा। इस दौरान पूजा करना विशेष फलदायी होता है। इस दिन सूर्यदेव के कन्या राशि में प्रवेश करते ही पूजा का महत्व और बढ़ जाता है।
विश्वकर्मा पूजा की विधि
1. सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और फूलों से सजाएं।
2. भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
3. धूप, दीप, पुष्प, अक्षत और नैवेद्य अर्पित करें।
4. भगवान विश्वकर्मा के साथ-साथ औजारों, मशीनों और कार्यस्थलों की भी पूजा की जाती है।
5. अंत में विश्वकर्मा जी की आरती करें और प्रसाद बांटें।
विश्वकर्मा पूजा के मंत्र
पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का उच्चारण विशेष फल प्रदान करता है:
“ॐ आधार शक्तपे नमः”
“ॐ कुमाय नमः”
“ॐ अनंतम नमः”

आरती का महत्व

आरती का महत्व
भगवान विश्वकर्मा की आरती करने से कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है। आरती के समय परिवार और कार्यस्थल के सभी लोग मिलकर भक्ति भाव से शामिल हों।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
इस दिन किए गए पूजन और अनुष्ठान से कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलती है। व्यापारी, श्रमिक, इंजीनियर, कलाकार और तकनीक से जुड़े लोग विशेष रूप से इस दिन भगवान विश्वकर्मा की आराधना करते हैं ताकि उनके कार्य में सफलता और उन्नति बनी रहे।
यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है। इसे केवल सामान्य जानकारी के रूप में पढ़ें। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या निर्णय से पहले स्थानीय परंपरा और विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।