
बिलकुल, यहां भारत में बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों पर 900 शब्दों का प्रिंट मीडिया के लिए विस्तृत न्यूज स्प्राइट तैयार किया गया है:
भारत में अचानक बढ़ रहे हैं दिल के दौरे: जानें वजहें और बचाव के उपाय ।
नई दिल्ली – भारत में हाल के वर्षों में एक चिंताजनक प्रवृत्ति देखने को मिली है। 30 से 45 वर्ष की उम्र के युवाओं में अचानक दिल का दौरा पड़ने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कहीं जिम में वर्कआउट करते वक्त, कहीं स्टेज पर डांस के दौरान और कहीं सुबह की वॉक के दौरान – स्वस्थ नजर आने वाले लोग अचानक गिर जाते हैं और कई मामलों में उन्हें बचाया भी नहीं जा पाता।
विशेषज्ञों का मानना है कि बदलती जीवनशैली, तनाव, खानपान की आदतें और शारीरिक निष्क्रियता इन मामलों के पीछे प्रमुख कारण हैं।
आंकड़ों की नजर से
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और इंडियन हार्ट एसोसिएशन जैसे संस्थानों के अनुसार:
भारत में हर साल लगभग 2.5 मिलियन मौतें कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (CVD) से होती हैं।
2015 के बाद से 35-50 आयुवर्ग के लोगों में हार्ट अटैक के मामले दोगुने हो गए हैं।
शहरी इलाकों में, खासकर मेट्रो शहरों में युवाओं की अचानक मौत में सबसे बड़ी वजह हार्ट फेलियर है।
तनाव: अंदर ही अंदर मारने वाला दुश्मन
तेज रफ्तार जिंदगी और प्रतिस्पर्धा से भरी कार्यशैली ने युवाओं को स्थायी तनाव की ओर धकेल दिया है।
देर रात तक ऑफिस का काम
नींद की कमी
पारिवारिक जिम्मेदारियां
सोशल मीडिया पर दिखावे का दबाव
यह सब मिलकर शरीर के कोर्टिसोल लेवल को बढ़ाते हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ता है और हार्ट पर दबाव बनता है। लंबे समय तक तनाव रहने पर हृदय की रक्तवाहिनियां सिकुड़ने लगती हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
खराब खानपान: स्वाद के पीछे मौत
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग ताजे और पौष्टिक भोजन की जगह प्रोसेस्ड, फास्ट और जंक फूड पर निर्भर हो गए हैं।
बाजार में मिलने वाले भोजन में ट्रांस फैट, अधिक नमक और चीनी मौजूद होते हैं।
यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं, जिससे ब्लॉकेज की समस्या पैदा होती है।
Soft drinks, पैकेज्ड चिप्स, पिज्जा, बर्गर – ये सभी धीरे-धीरे दिल को कमजोर करते हैं।
नशा: नई पीढ़ी का खामोश कातिल
धूम्रपान और शराब की लत भारत के युवाओं को गंभीर खतरे में डाल रही है।
हर दिन सिगरेट पीने से हृदय की धमनियां सख्त हो जाती हैं।
निकोटीन, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को घटाता है।
शराब दिल की धड़कन की नियमितता को बिगाड़ती है।
Vaping और नशीले ड्रग्स का बढ़ता चलन भी कार्डियक अरेस्ट का कारण बन रहा है।
बैठे रहने की आदत: ‘सिडेंटरी डेथ’ का कारण
शारीरिक गतिविधि की कमी या “सिडेंटरी लाइफस्टाइल” एक गंभीर खतरा बन चुकी है।
घंटों एक ही जगह बैठना
कम या न के बराबर वॉकिंग
फिजिकल एक्टिविटी की जगह स्क्रीन टाइम बढ़ना
इससे मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है, वजन बढ़ता है, ब्लड प्रेशर और शुगर अनियंत्रित होता है – ये सभी मिलकर दिल की बीमारियों को जन्म देते हैं।
अनुवांशिक कारक और मेडिकल निगरानी की अनदेखी
यदि परिवार में किसी को दिल की बीमारी रही है, तो खतरा दोगुना हो जाता है। दुर्भाग्यवश, भारत में लोग नियमित हेल्थ चेकअप नहीं कराते।
युवाओं को लगता है कि वे ‘स्वस्थ’ हैं।
लेकिन कई बार ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल या डायबिटीज बिना लक्षण के शरीर में पनपते रहते हैं।
अचानक एक दिन दिल काम करना बंद कर देता है।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि जीवनशैली में सुधार किया जाए तो इस खतरनाक ट्रेंड को रोका जा सकता है।
बचाव के उपाय:
1. रोजाना कम से कम 30 मिनट वॉक, रनिंग या योग करें।
2. हर साल एक बार कार्डियक प्रोफाइल चेकअप जरूर कराएं।
3. तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन और नींद को प्राथमिकता दें।
4. स्मोकिंग और अल्कोहल से दूरी बनाएं।
5. घर का बना, पौष्टिक भोजन ही लें – हरी सब्जियां, फल, फाइबर युक्त भोजन।
6. स्क्रीन टाइम घटाएं और ऑफिस के काम के बीच ब्रेक जरूर लें।
विशेषज्ञ की राय
डॉ. रोहित श्रीवास्तव, कार्डियोलॉजिस्ट, एम्स दिल्ली कहते हैं:
दिल का दौरा अब सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही। भारत का युवा वर्ग भी इसकी चपेट में आ रहा है और यह खामोश महामारी बनती जा रही है। जरूरी है कि हम समय रहते चेत जाएं, अपने शरीर की सुनें और उसे स्वस्थ रखें। क्योंकि “जान है तो जहान है” सिर्फ कहावत नहीं, अब जीवन का मूलमंत्र बन चुका है।