
बेटे के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनने पर क्या बोलीं CP राधाकृष्णन की मां? नाम के पीछे की दिलचस्प कहानी।
तमिलनाडु का तिरुपुर जिला इन दिनों खुशी और गर्व से झूम रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और एनडीए गठबंधन ने वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। जैसे ही यह खबर आई, उनके पैतृक गांव और परिवार में उत्सव का माहौल बन गया। सबसे भावुक क्षण उनकी मां जानकी अम्माल के लिए था, जिन्होंने अपने बेटे को इस ऊंचाई तक पहुंचते देखा।
जानकी अम्माल ने मीडिया से बातचीत में अपने बेटे के नाम के पीछे की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि “राधाकृष्णन” नाम उन्होंने गीता और भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं से प्रेरित होकर रखा था। उनके अनुसार, इस नाम का मतलब है सेवा, करुणा और धर्म के मार्ग पर चलना। उन्होंने गर्व से कहा कि आज उनका बेटा उसी मार्ग पर देश की सेवा करने के लिए तैयार खड़ा है।
गांव और परिवार में जश्न
राधाकृष्णन के पैतृक जिले तिरुपुर और आसपास के गांवों में जैसे ही यह खबर पहुंची, लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ खुशी मनाई। उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटीं और परिवार को बधाई दी। सभी ने एक स्वर में कहा कि यह तमिलनाडु के लिए गर्व का क्षण है कि यहां का एक बेटा अब देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों में से एक पर पहुंचने जा रहा है।
परिवारजन बताते हैं कि राधाकृष्णन बचपन से ही मेहनती और पढ़ाई में अव्वल रहे। वे हमेशा समाज और जरूरतमंदों की मदद के लिए तैयार रहते थे। उनके गांव के लोग कहते हैं कि “राधाकृष्णन कभी खुद को नेता नहीं, बल्कि सेवक मानते हैं।” यही वजह है कि उनका राजनीतिक करियर साफ-सुथरा और जनसेवा पर आधारित माना जाता है।
राजनीतिक सफर
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक जीवन लंबा और संघर्षपूर्ण रहा है। वे 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। उस समय तमिलनाडु की राजनीति में उनका उभार भाजपा के लिए बड़ी उपलब्धि मानी गई थी। इसके बाद उन्हें तमिलनाडु भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया।
प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पार्टी संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनका राजनैतिक जीवन हमेशा अनुशासन, समर्पण और ईमानदारी से जुड़ा रहा है। वे जमीनी नेता हैं, जो कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद और जनता के बीच सक्रिय उपस्थिति के लिए जाने जाते हैं।
मां का गर्व और भावुकता
जानकी अम्माल का कहना है कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि उनका बेटा उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचेगा। वे कहती हैं – “जब मैंने उसे यह नाम दिया था, तब सिर्फ यही चाहा था कि वह अच्छा इंसान बने। आज वह देश के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी निभाने जा रहा है। यह मेरे लिए भगवान का आशीर्वाद है।”
उन्होंने आगे कहा कि उनके बेटे ने हमेशा परिवार और समाज की मर्यादाओं को बनाए रखा। चाहे राजनीति हो या निजी जीवन, उन्होंने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
जनता की उम्मीदें
कोयंबटूर और तिरुपुर के लोग मानते हैं कि सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनना न केवल भाजपा बल्कि पूरे तमिलनाडु के लिए गर्व का विषय है। उनका कहना है कि संसद में उनकी उपस्थिति दक्षिण भारत की आवाज को और मजबूत करेगी। ग्रामीणों को विश्वास है कि वे हमेशा की तरह ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे।
भाजपा और एनडीए का दांव
भाजपा और एनडीए के लिए सीपी राधाकृष्णन का नाम एक रणनीतिक फैसला भी माना जा रहा है। दक्षिण भारत में पार्टी का आधार मजबूत करने के लिए एक ऐसे चेहरे की जरूरत थी, जिनकी साख साफ-सुथरी और जनसेवा पर आधारित हो। राधाकृष्णन उस छवि के साथ पूरी तरह फिट बैठते हैं।
उनकी छवि एक सुलझे हुए, ईमानदार और कार्यकर्ता-नेता की रही है। यही वजह है कि उनकी उम्मीदवारी को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
तमिलनाडु के छोटे से जिले से उठकर राष्ट्रीय राजनीति में यह मुकाम हासिल करना सीपी राधाकृष्णन की कड़ी मेहनत और जनता से जुड़ाव का परिणाम है। मां जानकी अम्माल द्वारा दिया गया नाम आज उनके व्यक्तित्व और कर्मों में झलकता है। सेवा और करुणा के मार्ग पर चलने वाले राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे राज्य और देश के लिए गर्व का विषय है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि तिरुपुर की मिट्टी ने आज देश को एक और ऐसा नेता दिया है, जो आने वाले समय में संवैधानिक पद पर बैठकर लोकतंत्र और जनता की सेवा के नए आयाम गढ़ेगा।