नागरिकता साबित करने के लिए कौन सा दस्तावेज़ है कानूनी रूप से मान्य – सिर्फ आधार-पैन-वोटर आईडी से न रहें धोखे में!”

“नागरिकता साबित करने के लिए कौन सा दस्तावेज़ है कानूनी रूप से मान्य – सिर्फ आधार-पैन-वोटर आईडी से न रहें धोखे में!”

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया है कि आधार, पैन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड केवल पहचान- या सेवाओं से जुड़े दस्तावेज हैं — नागरिकता का प्रमाण नहीं। इस फैसले का प्रभाव उन सभी नागरिकों पर पड़ेगा, जिन्हें लगता है कि इन पहचान पत्रों से नागरिकता साबित हो सकती है। अब यह जानना ज़रूरी है कि कानूनी दृष्टिकोण से कौन-से दस्तावेज़ मान्य हैं।

1. मामले का घटना

मामला एक व्यक्ति से जुड़ा है, जिसकी पहचान करने हेतु अदालत में आधार, पैन, वोटर आईडी और पासपोर्ट पेश किए गए। हालांकि, उन सभी दस्तावेजों के बावजूद कोर्ट ने नागरिकता का प्रमाण मानने से इनकार कर दिया। मामला ठाणे का है, जिसमें पुलिस ने आरोपी पर अवैध प्रवेश और जाली दस्तावेज रखने का आरोप लगाया था ।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने विशेष रूप से कहा कि सिर्फ पहचान पत्र होने से नागरिकता सिद्ध नहीं होती — खासकर जब अंगरक्षक विदेशी मूल का होने या दस्तावेज़ों में घरकर होने का शक जताता हो ।

2. आधार, पैन और वोटर आईडी — पहचान, लेकिन नागरिकता नहीं

आधार कार्ड केवल पहचान और सेवाओं के लिए है, नागरिकता के लिए नहीं — सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है ।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोहराते हुए कहा कि पैन और वोटर आईडी भी सिर्फ कर अथवा मतदान से जुड़े दस्तावेज हैं — नागरिकता को साबित नहीं करते ।

Business-Standard में प्रकाशित रिपोर्ट में इसे साफ कहा गया कि पहचान और नागरिकता समान अर्थ नहीं रखते — केवल पहचान का भरोसा नागरिकता की पुष्टि नहीं करता ।

3. कानूनी वैध दस्तावेज कौन-से हैं?

बॉम्बे हाईकोर्ट व अन्य कानूनी स्त्रोतों ने निम्न दस्तावेजों को नागरिकता के लिए वैध माना है:

जन्म प्रमाणपत्र (Birth Certificate) – जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 द्वारा जारी एवं प्राथमिक दस्तावेज ।

10वीं या 12वीं की मार्कशीट (School Certificates) – इनमें जन्मतिथि और स्थान का उल्लेख होता है, नागरिकता का सहायक दस्तावेज माना जाता है ।
डोमिसाइल सर्टिफिकेट (Domicile Certificate) – राज्य सरकार द्वारा जारी, लंबे समय तक किसी राज्य में निवास का प्रमाण ।

पुराने सरकारी दस्तावेज़ (Old Government Records) – जैसे 1987 से पहले के भूमि आवंटन पत्र या पेंशन आदेश — नागरिकता के समर्थन में उपयोगी ।

सर्टिफिकेट ऑफ इंडियन सिटिजनशिप (Certificate of Indian Citizenship) – उन लोगों के लिए, जो जन्मतः नागरिक नहीं, किन्तु बाद में नागरिक बने; यह आदिकारिक दस्तावेज़ है ।

4. नागरिकता कैसे मिलती है:

नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता निम्न चार तरीकों से प्राप्त की जा सकती है:

1 जुलाई 1987–3 दिसंबर 2004 में जन्मे व्यक्ति तभी नागरिक।

3 दिसंबर 2004 के बाद जन्म — केवल अगर माता या पिता में से एक भारतीय और दूसरा अवैध प्रवेशकर्ता नहीं ।

वंश (By Descent) – भारत के बाहर जन्म लेने पर अगर माता-पिता में से कोई भारतीय नागरिक है तो नागरिकता मिल सकती है ।

पंजीकरण (By Registration) – भारतीय मूल का व्यक्ति या भारतीय नागरिक से विवाहित, जो 7 वर्ष से भारत में रह रहा है, वह आवेदन कर सकता है ।

देशीयकरण – 12 वर्ष से रहना, तृतीय अनुसूची की शर्तें पूरा करना, आदि ।

5. यदि आप नागरिकता की दस्तावेजी पुष्टि के लिए सिर्फ पेपर्स (आधार-वोटर-पैन) पर निर्भर हैं, तो आपको कानूनी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।

इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया कि पहचान और नागरिकता दो अलग मुद्दे हैं — नागरिकता साबित करने का बोझ अब व्यक्ति पर है ।

ऐसे मामलों में—चाहे वोटर सूची का संशोधन हो, इमिग्रेशन जांच हो या अदालत में नागरिकता संबंधी विवाद—सही दस्तावेज़ (जैसे जन्म प्रमाणपत्र, निवास प्रमाण आदि) साथ होना ज़रूरी है।

6 .नागरिकता एक संवैधानिक और कानूनी स्थिति है, जिसे पहचानपत्रों की तरह casually नहीं माना जा सकता। आधार, पैन या वोटर आईडी दस्तावेज़ आपकी पहचान के लिए उपयोगी हो सकते हैं, लेकिन नागरिकता साबित करने के लिए जन्म प्रमाणपत्र, डोमिसाइल सर्टिफिकेट, स्कूल सर्टिफिकेट या नागरिकता प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज़ ज़रूरी हैं।

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