
रामायण की शूटिंग के दौरान माफी क्यों मांगते थे ‘रावण’।
रामानंद सागर की ‘रामायण’ ने 80 के दशक में भारतीय टेलीविजन के इतिहास में एक नई इबारत लिखी थी। इस धारावाहिक के हर पात्र ने दर्शकों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। इनमें सबसे चर्चित और यादगार किरदारों में से एक था ‘रावण’, जिसे अभिनेता अरविंद त्रिवेदी ने निभाया। उनकी दमदार अदायगी और प्रभावशाली संवादों ने इस किरदार को जीवंत बना दिया। लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि ‘रामायण’ की शूटिंग के दौरान अरविंद त्रिवेदी हर दिन कैमरे के सामने अभिनय शुरू करने से पहले एक खास काम करते थे—वे सेट पर मौजूद सभी से माफी मांगते थे।
माफी मांगने की वजह
अरविंद त्रिवेदी ने खुद कई इंटरव्यू में बताया था कि वह ‘रावण’ का किरदार निभाते समय मानसिक रूप से बहुत संवेदनशील रहते थे। रावण एक नकारात्मक और आक्रामक चरित्र था, जिसे अक्सर ऊंची आवाज, कठोर शब्द और उग्र हावभाव के साथ प्रस्तुत करना पड़ता था। उनका मानना था कि इस तरह की भूमिका निभाते समय वे अनजाने में अपने सह-कलाकारों या तकनीकी टीम के प्रति कठोर शब्द कह सकते हैं, जिससे किसी की भावनाएं आहत हो सकती हैं।
इसी वजह से, वे शूटिंग शुरू होने से पहले हाथ जोड़कर सभी से कहते—
“अगर मेरे संवाद या अभिनय के दौरान किसी को बुरा लगे तो पहले ही क्षमा कर दें, यह केवल मेरे किरदार की मांग है।”
धार्मिक आस्था से जुड़ा भाव
अरविंद त्रिवेदी निजी जीवन में धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। रामायण की कहानी उनके लिए केवल एक स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक थी। वे मानते थे कि रावण का किरदार निभाते समय वे मर्यादा और धर्म के खिलाफ जाने वाले संवाद बोलते हैं, जो वास्तविक जीवन में वे कभी नहीं करते। इस कारण उनका मन कई बार खिन्न हो जाता था।
माफी मांगना उनके लिए एक तरह का मानसिक शुद्धिकरण था, ताकि वे यह स्पष्ट कर सकें कि यह केवल अभिनय है, उनका व्यक्तिगत चरित्र इससे अलग है।
सेट पर अनुशासन और आदर
रामानंद सागर के सेट पर अनुशासन और आपसी आदर का माहौल था। अरविंद त्रिवेदी का यह व्यवहार सभी कलाकारों और तकनीकी सदस्यों के बीच एक मिसाल बन गया। दीपिका चिखलिया (सीता) और अरुण गोविल (राम) ने भी कई बार कहा कि अरविंद जी का स्वभाव बेहद विनम्र था। कैमरे के सामने वे चाहे जितने उग्र दिखते हों, कैमरे के पीछे वे सभी से हंसकर बात करते और परिवार जैसा माहौल बनाते।
दर्शकों पर असर
‘रामायण’ के प्रसारण के समय और उसके बाद भी, कई दर्शक अरविंद त्रिवेदी को असल जिंदगी में भी रावण मानने लगे थे। कई बार तो उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रमों में देखकर लोग नाराजगी भी जताते थे, जैसे कि उन्होंने वास्तविक रूप से सीता हरण किया हो। इस पर वे हमेशा मुस्कुराकर जवाब देते कि यह तो बस उनकी कला है और असल में वे राम और सीता के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं।
अभिनय की ईमानदारी
अरविंद त्रिवेदी की सबसे बड़ी खासियत थी—अभिनय में पूरी ईमानदारी। वे मानते थे कि एक कलाकार को अपने किरदार में पूरी तरह डूब जाना चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी ज़रूरी है कि व्यक्तिगत स्तर पर वह पात्र की नकारात्मकता को खुद पर हावी न होने दे। माफी मांगने की उनकी आदत यही दर्शाती थी कि वे अपनी सीमाओं और ज़िम्मेदारी को भली-भांति समझते थे।
अंतिम दिनों तक जुड़ी रही पहचान
‘रामायण’ के पुनः प्रसारण के दौरान, 2020 में लॉकडाउन के समय, एक बार फिर अरविंद त्रिवेदी का ‘रावण’ का रूप देशभर में छा गया। सोशल मीडिया पर लोग उनके अभिनय की तारीफ करते नहीं थकते थे। उनके इस माफी मांगने वाले किस्से ने भी नए दर्शकों के बीच उन्हें और भी सम्मान दिलाया।
रामानंद सागर की ‘रामायण’ में अरविंद त्रिवेदी द्वारा निभाया गया ‘रावण’ का किरदार केवल एक भूमिका नहीं, बल्कि अभिनय, आस्था और विनम्रता का अद्भुत संगम था। शूटिंग के दौरान रोजाना माफी मांगना उनके मानवीय और धार्मिक मूल्यों का प्रमाण था। यही वजह है कि आज भी वे केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि एक आदर्श इंसान के रूप में याद किए जाते हैं।