
राहुल गांधी को लेकर क्यों बदले स्मृति ईरानी के तेवर? पूर्व केंद्रीय मंत्री ने खुद किया खुलासा
2024 के लोकसभा चुनावों में अमेठी से राहुल गांधी का चुनाव न लड़ना और स्मृति ईरानी का यह दावा कि गांधी परिवार ने उनसे मुकाबले से इनकार किया। ये दोनों बातें भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ ला रही हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने न केवल अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर स्थिति स्पष्ट की बल्कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पर भी तीखे हमले किए।
स्मृति ईरानी, जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी जैसी ‘कांग्रेस की परंपरागत सीट’ से राहुल गांधी को हराया था, अब एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उनके हालिया बयान ने राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि वह राजनीति से दूर नहीं जा रही हैं और आने वाले समय में फिर से चुनाव लड़ सकती हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि 2024 में गांधी परिवार ने खुद तय किया कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि वे जानते थे कि उन्हें एक बार फिर हार का सामना करना पड़ेगा। स्मृति ईरानी ने कहा, “राहुल गांधी की अमेठी से गैरमौजूदगी इस बात का संकेत है कि कांग्रेस हार की आशंका से बचना चाहती थी। गांधी परिवार के पास अब इतना भी आत्मविश्वास नहीं बचा कि वो जनता का सामना कर सके।”
राजनीति से दूरी की अफवाहों पर विराम:
स्मृति ईरानी ने यह भी साफ किया कि वो न राजनीति से दूर हो रही हैं और न ही अपने संसदीय क्षेत्र से मुंह मोड़ रही हैं। पिछले कुछ समय से उनके राजनीति से संन्यास लेने की अटकलें लगाई जा रही थीं, खासकर तब जब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर किया गया। इस पर उन्होंने कहा, “किसी पद पर होना या न होना मेरी राजनीतिक प्रतिबद्धता को परिभाषित नहीं करता। मैं अपने क्षेत्र की जनता के लिए हमेशा उपलब्ध हूं और चुनावी राजनीति में सक्रिय रहूंगी।”
कांग्रेस पर तीखा हमला:
स्मृति ईरानी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी में निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो चुकी है और अब सिर्फ खानदानी राजनीति का बोलबाला रह गया है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के लिए जनता की सेवा से ज्यादा अहमियत इस बात की है कि गांधी परिवार कैसे सत्ता में बना रहे। यही कारण है कि राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट को प्राथमिकता दी, जहां मुकाबला अपेक्षाकृत आसान था।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस अब जमीनी स्तर पर कमजोर हो चुकी है और नेताओं को भी यह एहसास हो गया है कि पार्टी में उनकी कोई भूमिका नहीं बची है।
भविष्य की रणनीति पर संकेत:
स्मृति ईरानी ने अपने आगामी चुनावी रणनीति को लेकर सीधा संकेत नहीं दिया, लेकिन उनका कहना था कि वह आने वाले समय में फिर से चुनाव लड़ेंगी। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि अगला चुनाव अमेठी से ही लड़ेंगी या किसी अन्य सीट से।
“मैंने कभी हार नहीं मानी। न पहले, न अब। मैं जनता की सेवा करती रही हूं और करती रहूंगी,” उन्होंने आत्मविश्वास से कहा।
राजनीतिक विश्लेषण:
विशेषज्ञों की मानें तो स्मृति ईरानी के इस बयान के पीछे एक स्पष्ट रणनीति है। एक ओर वे अपने समर्थकों को यह संदेश देना चाहती हैं कि उनका राजनीतिक सफर थमा नहीं है, वहीं दूसरी ओर वह कांग्रेस और राहुल गांधी को फिर से उनके गढ़ में चुनौती देने के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रही हैं।
2019 में राहुल गांधी को हराना उनके राजनीतिक करियर का अहम पड़ाव था। इसके बाद अगर 2024 में राहुल गांधी फिर अमेठी से चुनाव नहीं लड़ते हैं, तो यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा संकेत माना जाएगा।
स्मृति ईरानी ने अपने हालिया बयान से यह साफ कर दिया है कि वह अब भी भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा बनी हुई हैं। उन्होंने राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पर करारा हमला बोलते हुए यह जता दिया है कि उनकी नजरें भविष्य के चुनावों पर टिकी हैं। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस पार्टी और खुद राहुल गांधी इस चुनौती का कैसे जवाब देते हैं।
लोगों की प्रतिक्रिया:
अमेठी समेत देशभर में स्मृति ईरानी के इस बयान पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। भाजपा समर्थकों का कहना है कि यह आत्मविश्वास का प्रतीक है, वहीं कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि यह सिर्फ एक “राजनीतिक स्टंट” है।