
आखिर क्यों सावन में दूध और साग का सेवन माना जाता है वर्जित? जानिए इसके पीछे की वजहें
पारंपरिक मान्यताओं और वैज्ञानिक कारणों का अद्भुत संगम।
देवघर। हिन्दू धर्म में सावन का महीना अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस पूरे माह में भक्तगण शिव उपासना में लीन रहते हैं और खान-पान में विशेष संयम बरतते हैं। विशेष रूप से दूध और हरे साग का सेवन वर्जित माना गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे की असली वजह क्या है?
धार्मिक मान्यता:
धार्मिक दृष्टिकोण से सावन शिवभक्ति का महीना है। इस दौरान व्रत-उपवास का विशेष महत्व है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव को दूध अर्पित करना चाहिए, परंतु इसका सेवन नहीं करना चाहिए। यह भगवान शिव को समर्पण की भावना का प्रतीक माना जाता है।
वहीं हरे साग को वर्जित इसलिए माना गया है क्योंकि इसे तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है। व्रत के समय सात्विक भोजन की प्रधानता होती है और साग तामसिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है।
वैज्ञानिक कारण:
1. मानसून में पाचन क्षमता कमजोर:
सावन के दौरान मानसून चरम पर होता है, जिससे वातावरण में नमी बढ़ जाती है। इस मौसम में शरीर की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसे में दूध जैसे भारी पदार्थ का सेवन पेट की समस्याएं पैदा कर सकता है।
2. साग में कीटाणुओं की अधिकता:
बारिश के मौसम में हरी सब्जियों और साग में कीड़े, बैक्टीरिया और फफूंद लगने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में इसका सेवन संक्रमण की वजह बन सकता है।
3. त्वचा रोग और एलर्जी का खतरा:
सावन के समय में त्वचा रोगों की संभावनाएं अधिक होती हैं। दूध और साग दोनों ही नमी वाले तत्व हैं जो शरीर में एलर्जी या स्किन इंफेक्शन की आशंका बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष:
दूध और साग से परहेज करना केवल एक धार्मिक नियम नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरी वैज्ञानिक सोच भी छिपी है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी समाज तक इस परंपरा को मान्यता दी जाती है, जो हमारे पूर्वजों की दूरदर्शिता को दर्शाता है।