World Organ Donation Day 2025: जानें, दुनिया में सबसे ज्यादा दान किया जाने वाला अंग कौन-सा है और भारत में अंगदान से जुड़े क्या हैं नियम।

हर साल 13 अगस्त को ‘वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे’ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को अंगदान के महत्व और इससे जुड़ी जरूरत के बारे में जागरूक करना है। अंगदान एक ऐसा पुण्य कार्य है, जिसमें व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद या जीवनकाल में अपने अंग किसी जरूरतमंद को दान करता है, जिससे उसकी जिंदगी बचाई जा सके। यह न केवल एक व्यक्ति को नया जीवन देता है, बल्कि समाज में मानवता और करुणा का संदेश भी फैलाता है।
दुनिया के कई देशों में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए व्यापक अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन अब भी अंगों की जरूरत और उपलब्धता के बीच बड़ा अंतर बना हुआ है। अंगदान का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि कई गंभीर बीमारियों में मरीज की जान बचाने के लिए केवल अंग प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपाय होता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो सबसे ज्यादा दान किया जाने वाला अंग ‘किडनी’ है। इसका कारण यह है कि इंसान के शरीर में दो किडनी होती हैं और स्वस्थ व्यक्ति एक किडनी दान करके भी सामान्य जीवन जी सकता है। इसके अलावा लिवर, कॉर्निया, हृदय और फेफड़े भी प्रमुख अंगों में शामिल हैं, जिनका प्रत्यारोपण हजारों लोगों को नया जीवन देता है।
भारत में अंगदान के लिए विशेष नियम और कानूनी प्रक्रिया तय की गई है। ‘मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994’ के तहत किसी भी जीवित व्यक्ति द्वारा केवल करीबी रिश्तेदार को ही अंग दान किया जा सकता है, जबकि मृत्यु के बाद व्यक्ति किसी भी जरूरतमंद को अपने अंग दान कर सकता है। इसके लिए मेडिकल टीम की पुष्टि और कानूनी अनुमति जरूरी होती है। अंगदान के लिए व्यक्ति को अपनी सहमति अंगदान कार्ड के माध्यम से दर्ज करानी होती है, जिसे राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) द्वारा मान्यता प्राप्त है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर लोग अंगदान के प्रति अपनी सोच बदलें और मृत्यु के बाद अपने अंग दान करने का संकल्प लें, तो हजारों जिंदगियों को बचाया जा सकता है। अंगदान एक ऐसा उपहार है, जो जीवन के बाद भी किसी को नया जीवन दे सकता है।
Disclaimer: यह जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है। अंगदान से जुड़ी प्रक्रिया और कानूनी नियमों के लिए संबंधित आधिकारिक संस्थानों या विशेषज्ञों से सलाह लें।
