
पानीपत में SC की दखलः तीन वर्ष बाद बुआना लाखू में EVM रीकाउंट के बाद बनी सरपंच, न्याय व्यवस्था पर बढ़ा विश्वास
हरियाणा, पानीपत | 14 अगस्त 2025
तीन साल पहले, 2 नवंबर 2022 को हुए बुआना लाखू ग्राम पंचायत के सरपंच चुनाव का प्रारंभिक नतीजा कुलदीप सिंह को जीताने वाला था। लेकिन उस निर्णय को अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा पलट दिया गया है — इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की सुप्रीम कोर्ट परिसर में ही हुई वीडियोग्राफ़िक रीकाउंटिंग के बाद परिणाम उल्टा हुआ, और मोहित कुमार को जीत का प्रमाणपत्र मिला। इस पूरे घटनाक्रम ने ग्राम-स्तरीय लोकतंत्र में न्यायिक हस्तक्षेप की मिसाल कायम की है।
विवाद का आरंभ
चुनावी पृष्ठभूमि
2 नवंबर 2022 को बुआना लाखू गांव में हुए सरपंच चुनाव में कुलदीप सिंह को विजेता घोषित किया गया था। चुनाव के तुरंत बाद मोहित कुमार ने नतीजों को चुनौती दी, उन्हें संदेह था कि किसी बूथ विशेष पर मतों का गलत गणना किया गया था ।
पहली कानूनी लड़ाई
शुरुआत में, मोहित कुमार ने पानीपत के अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश (वरिष्ठ श्रेणी)-cum-Election Tribunal में अपील लगाई। अप्रैल 2025 में, ट्रिब्यूनल ने बूथ संख्या 69 की भाग-गणना का आदेश दिया, जिसे 7 मई 2025 को निर्देशित किया गया था । लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 1 जुलाई 2025 को ट्रिब्यूनल के आदेश को निरस्त कर दिया और गणना रोक दी ।
सुप्रीम कोर्ट की दखल: EVM मंगाई और वोटों की गणना
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
हाईकोर्ट के फैसले के बाद, मोहित कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 31 जुलाई 2025 को पांचवीं पीठ में सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने न केवल EVM मशीनों को मंगाने का आदेश दिया, बल्कि कहा कि केवल बूथ 69 तक सीमित न रहते हुए सभी बूथों के मतों की पुनर्गणना की जाए ।
रीकाउंट की प्रक्रिया
आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए कि सभी EVM मशीनें, 6 अगस्त 2025 सुबह 10 बजे सुप्रीम कोर्ट परिसर में ओएसडी-Registrar कावेरी की निगरानी में लाकर गिनती की जाए और यह प्रक्रिया पूर्ण रूप से वीडियोग्राफ़ की जाए । उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में बूथ नंबर 65 से 70 तक मतों की दोबारा गिनती की गई।
मोहित कुमार जीते, कुलदीप सिंह पीछे
रीकाउंट में कुल 3,767 वोट गिने गए। मोहित कुमार को 1,051 वोट प्राप्त हुए, जबकि कुलदीप सिंह केवल 1,000 मतों तक सीमित रहे । अन्य उम्मीदवारों को शेष मत मिले।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
11 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट की पीठ (न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता, एन. कोटिस्वर सिंह) ने कहा कि ओएसडी-Registrar की रिपोर्ट पर कोई संदेह नहीं और इसके आधार पर कुलदीप सिंह की जीत रद्द करते हुए मोहित कुमार को विजयी घोषित किया जाए ।
अधिसूचना और पद ग्रहण
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने जिला निर्वाचन अधिकारी को दो दिनों में अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया और मोहित कुमार को तुरंत पद ग्रहण की मंजूरी दी ।
बचे मुद्दे
हालांकि कोर्ट ने कहा कि बचे हुए अन्य विवाद चुनाव ट्रिब्यूनल में उठाए जा सकते हैं, लेकिन पुनर्गणना के नतीजों को ओएसडी की रिपोर्ट के अनुसार अंतिम माना जाएगा ।
स्थानीय राजनीति से राष्ट्रीय प्राथमिकता तक
1. ग्राम-स्तरीय चुनावों में न्याय की पहुंच
यह मामला बताता है कि ग्राम पंचायत के चुनावों में भी न्याय व्यवस्था किसी भी स्तर पर निष्पक्षता सुनिश्चित कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने EVM पर विश्वास लेकिन प्रक्रिया की पारदर्शिता को महत्व दिया।
2. वोटिंग मशीनों पर बढ़ता आत्म-विश्वास
EVM पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मशीन को दोष नहीं माना, बल्कि गिनती प्रक्रिया को हाई-कोर्ट परिसर में करवाकर एंटी-फ्रॉड सिस्टम को मजबूत किया।
3. अदालत और चुनाव आयोग की भूमिका
चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणाम सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रिया से संशोधित हुए, यह लोकतंत्र में न्यायिक सुधार की ताकत को दर्शाता है।
4. वकीलों की भूमिका एवं खर्च
इस केस ने साफ़ किया कि ग्राम-पंचायत चुनाव में भी वकील-फीस, कानूनी प्रतिनिधित्व व न्यायिक लड़ाई आवश्यक हो सकती है – जहां लोकल उम्मीदवारों को लीगल बजट भी अलग से रखना पड़ सकता है।
5. नीतिगत नतीजे
भविष्य में ग्राम पंचायत चुनाव अभियान और रणनीतियों में उम्मीदवार कानूनी तैयारी को भी शामिल करेंगे। EVM प्रक्रिया के रिकॉर्ड और रीकाउंट को लेकर ज़्यादा सतर्क रहना पड़े।
लोकतंत्र का जीवंत सबक
बुआना लाखू गांव की यह घटना यह साबित करती है कि भारतीय लोकतंत्र में न्याय की पहुंच ऊपरी अदालतों तक व्यापक और प्रभावी है। EVM और न्यायिक रीकाउंटिंग की पारदर्शिता से यह संदेश गया कि हर नागरिक का वोट स्वतंत्र रूप से गिना जाएगा, चाहे वह ग्राम-स्तर का वोट ही क्यों न हो। यह स्थानीय राजनीति से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मूल्यों की गहराई को दर्शाने वाला एक ऐतिहासिक मोड़ है।