
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में आई प्राकृतिक आपदा ने तबाही मचा दी है। पहाड़ी से भारी भूस्खलन और अचानक आई आपदा ने पूरे गांव को मलबे में तब्दील कर दिया। इस दर्दनाक हादसे में अब तक 65 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 200 लोग लापता बताए जा रहे हैं। राहत एवं बचाव कार्य जारी है, लेकिन खराब मौसम और दुर्गम इलाका प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
मलबे में दबे घर और मंदिर
किश्तवाड़ के इस गांव में कई मकान और चार मंदिर भी पूरी तरह मलबे में समा गए। ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में अचानक तेज धमाका जैसा आवाज हुई और देखते ही देखते पहाड़ दरककर पूरे इलाके को मलबे में दबा गया। चारों तरफ सिर्फ चीख-पुकार और अफरा-तफरी मच गई।
चश्मदीदों की आंखों देखी
गांव के रहने वाले रमेश कुमार ने बताया—
“हम सब सामान्य दिनचर्या में लगे थे कि अचानक तेज आवाज सुनाई दी। लगा जैसे पहाड़ फट गया हो। कुछ ही मिनटों में हमारे घर, खेत और मंदिर सब कुछ खत्म हो गया। कई लोग भाग भी नहीं पाए।”
इसी तरह की कहानी दूसरे चश्मदीद भी बयां कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि राहत टीम पहुंची, लेकिन मलबा इतना ज्यादा है कि फंसे हुए लोगों को निकालना बेहद मुश्किल हो रहा है।
राहत और बचाव कार्य
सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचकर लगातार राहत कार्य चला रही हैं। हेलीकॉप्टर से प्रभावित इलाके में जरूरी सामान और दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं। लेकिन भारी बारिश और मलबा हटाने की दिक्कतों के कारण कई जगहों तक पहुंच पाना आसान नहीं है।
राज्य सरकार ने मरने वालों के परिजनों को मुआवजे का ऐलान किया है। वहीं घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रशासन ने कहा है कि बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है और लापता लोगों को खोजने में हर संभव प्रयास किया जाएगा।
इलाके में मातम और खामोशी
किश्तवाड़ के इस गांव में मातम पसरा हुआ है। जिन परिवारों ने अपने अपनों को खो दिया है, वे गमगीन हैं। कई लोग अपने लापता परिजनों के इंतजार में मलबे के पास खड़े हैं। महिलाओं और बच्चों की चीख-पुकार से माहौल और भी दर्दनाक हो गया है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
विशेषज्ञों का कहना है कि किश्तवाड़ और जम्मू-कश्मीर का पहाड़ी इलाका भूस्खलन और अचानक आपदाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। अनियंत्रित निर्माण और लगातार हो रहे खनन ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है।
भूवैज्ञानिकों के अनुसार, लगातार बारिश और ढलानों पर दबाव बढ़ने के कारण पहाड़ दरक जाता है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन को समय-समय पर निगरानी रखनी होगी और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करना जरूरी है।
देशभर से संवेदनाएं
इस हादसे पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने गहरी संवेदनाएं जताई हैं। उन्होंने प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है। कई सामाजिक संस्थाएं भी मौके पर पहुंचकर लोगों को भोजन, पानी और जरूरी सहायता उपलब्ध करा रही हैं।
लोगों की उम्मीद
गांव के लोग मानते हैं कि राहत और बचाव कार्य में और तेजी लाई जाए ताकि मलबे में दबे लोगों को बचाया जा सके। हर कोई दुआ कर रहा है कि उनके अपने जिंदा मिल जाएं।
किश्तवाड़ की यह त्रासदी न सिर्फ जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश को झकझोर देने वाली है। 65 लोगों की मौत और 200 से ज्यादा लापता होने की खबर ने हर किसी को हिला दिया है। मलबे में तब्दील हुए घर और मंदिर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि प्राकृतिक आपदा कितनी खतरनाक हो सकती है।