ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार भारत ने दिखाया मानवता का चेहरा — पाकिस्तान को दी तवी नदी में संभावित बाढ़ की चेतावनी

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में भारी तनाव के बीच एक अप्रत्याशित मानवीय मोड़ आया है। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद यह पहला मौका है जब भारत ने पाकिस्तान को सहायता का हाथ बढ़ाया। वर्तमान में पाकिस्तान में भारी monsoon बारिश और बाढ़ की व्याप्त स्थिति के बीच, भारत ने तवी नदी (Tawi River) में संभावित बाढ़ की पूर्‍व चेतावनी भेजी है। यह कदम सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) के स्थगन (abeyance) के बावजूद उठाया गया — एक ऐसा कदम जो कूटनीतिक रिश्तों को एक नई दिशा देने की संभावना लिए हुए है।

24 अगस्त 2025 को, भारत ने पाकिस्तान को तवी नदी में संभवित बाढ़ संबंधी सूचना दी। यह जानकारी सीधे भारतीय उच्चायोग (Indian High Commission, Islamabad) के माध्यम से साझा की गई, न कि सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) के तहत स्थापित प्राधिकरणों के जरिए ।

यह दोनों देशों के बीच पहली बड़ी कूटनीतिक संपर्क थी ऑपरेशन सिंदूर (जो मई में हुआ था) के बाद ।

स्रोतों के अनुसार पाकिस्तान के अधिकारियों ने भारत की दी सूचना के आधार पर स्थानीय समुदाय को चेतावनी जारी की और तैयारी शुरू कर दी।

ऑपरेशन सिंदूर:

22 अप्रैल 2025 को जम्मू एवं कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर तहत पाकिस्तान और पॉके (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। इसके बाद सीमा पर तनाव बढ़ा और 10 मई को आंशिक शांति स्थापित हुई ।

सिंधु जल संधि का स्थगन:

इसी अवधि में, भारत ने 23 अप्रैल 2025 को सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया—एक कड़े राजनयिक निर्णय के रूप में पाकिस्तान को संदेश देने के मकसद से ।

बाढ़ की स्थिति:

पाकिस्तान में मौजूदा monsoon में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। पंजाब और अन्य क्षेत्रों में मलबा, पानी का जमाव, और जनहानि की खबरें सामने आई हैं. हालांकि भारत द्वारा यह चेतावनी सिंधु जल संधि के चैनल के बजाय कूटनीतिक माध्यम से दी गई ।

मानवीय और कूटनीतिक

इस कदम ने भारत की छवि को मानवीय और जिम्मेदार पड़ोसी देश के रूप में उजागर किया, जो राजनीतिक तनाव को पीछे रखते हुए जन-धन की रक्षा को प्राथमिकता देता है ।

यह संकेत देता है कि राजनीतिक और सैन्य तनावों से ऊपर उठकर क्षेत्र में स्थिरता और जनहित की प्राथमिकता रखी जा सकती है। इससे दोनों देशों के बीच पैसिफिक नीति और क्षेत्रीय सुरक्षा को एक नया आयाम मिल सकता है ।

जबकि सिंधु जल संधि फिर से सक्रिय नहीं हुआ, यह कदम एक नमूना है कि मानवीय स्थिति में संवाद फिर भी संभव है, भले ही पूर्व समझौते जमीनी तौर पर निष्क्रिय हों।

आज, 25 अगस्त 2025 को यह स्पष्ट है कि ऑपरेशन सिंदूर जैसे कड़े सैन्य और राजनयिक तनावों के बावजूद, मानवीय मूल्यों का बल लगभग कभी कमजोर नहीं होता। भारत द्वारा पाकिस्तान को तवी नदी में संभावित बाढ़ की सूचना देना इसका सजीव उदाहरण है। इस कदम ने यह संदेश दिया कि जीवन रक्षा, संकट प्रबंधन और मानवीय चिंताओं को हमेशा प्राथमिकता दी जा सकती है, चाहे राजनीतिक संबंधों में कितनी भी दूरियाँ क्यों न हों।

यह पहल आशा जगाती है कि भविष्य में ऐसे मानवीय कदम कूटनीतिक गतिरोधों को तोड़ सकते हैं और दोनों देशों के बीच एक स्थायी संवाद व भरोसे की नींव रख सकते हैं।

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