
Breaking— सूर्य हंसदा के एनकाउंटर पर JLKM ने उठाया सवाल।
जमशेदपुर/रांची — झारखंड लिबरेशन क्रांति मंच (JLKM) ने गुरुवार को एक प्रेस बयान जारी कर चर्चित नक्सली सूर्य हंसदा के पुलिस एनकाउंटर पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। संगठन ने दावा किया है कि यह घटना “फर्जी मुठभेड़” हो सकती है और इसकी निष्पक्ष न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए।
एनकाउंटर की पृष्ठभूमि
पुलिस के मुताबिक, बीते मंगलवार देर रात चाईबासा के जंगल इलाके में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान प्रतिबंधित संगठन के सक्रिय सदस्य सूर्य हंसदा को मार गिराया गया। पुलिस का कहना है कि हंसदा लंबे समय से कई हिंसक वारदातों में शामिल था और उस पर भारी इनाम घोषित था।
अधिकारियों के अनुसार, हंसदा के पास से एक इंसास राइफल, भारी मात्रा में कारतूस, और नक्सली पर्चे बरामद हुए। मुठभेड़ के बाद क्षेत्र में कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाकर अन्य नक्सलियों की तलाश की जा रही है।
JLKM का आरोप
JLKM के प्रवक्ता ने बयान में कहा
संगठन ने सवाल उठाया कि मुठभेड़ की घटना में पुलिस को कोई भी बड़ा नुकसान क्यों नहीं हुआ, जबकि बताया जा रहा है कि नक्सलियों के पास भारी हथियार थे। JLKM ने यह भी आरोप लगाया कि एनकाउंटर की जगह और समय को लेकर पुलिस के बयान में विरोधाभास हैं।
पुलिस का पक्ष
पुलिस प्रवक्ता ने JLKM के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उनका कहना है कि मुठभेड़ वास्तविक थी और सुरक्षा बलों ने आत्मरक्षा में कार्रवाई की।
पुलिस का दावा है कि हंसदा पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां में कई हमलों के पीछे मास्टरमाइंड था, जिसमें सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई थी।
मानवाधिकार संगठनों की चिंता
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी घटना की स्वतंत्र जांच की मांग की है। उनका कहना है कि झारखंड में पिछले कुछ वर्षों में एनकाउंटर की घटनाओं में तेजी आई है और कई मामलों में जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती।
कार्यकर्ताओं का तर्क है कि यदि एनकाउंटर वास्तविक है तो पुलिस को उसका पूरा वीडियो, फोटोग्राफ और बरामदगी की विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
गांव वालों की प्रतिक्रिया
एनकाउंटर की खबर मिलने के बाद सूर्य हंसदा के पैतृक गांव में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोग उसे अपराधी बताते हैं, तो कुछ का कहना है कि वह पहले समाजसेवा में भी सक्रिय रहा।
एक ग्रामीण ने बताया,
गांव में पुलिस की मौजूदगी बढ़ा दी गई है और सुरक्षाबलों ने कई घरों में तलाशी ली है।
राजनीतिक हलचल
इस घटना ने राजनीतिक हलचल भी पैदा कर दी है। विपक्षी नेताओं ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या मुठभेड़ की न्यायिक जांच कराई जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आंकड़े सुधारने के लिए एनकाउंटर का सहारा ले रही है।
सत्तापक्ष ने विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि नक्सलियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना जरूरी है, ताकि विकास कार्य बाधित न हों।
कानूनी प्रावधान
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में एनकाउंटर मामलों में विस्तृत दिशा-निर्देश दिए थे, जिसमें हर मामले की स्वतंत्र जांच, मैजिस्ट्रेट इंक्वायरी और NHRC को सूचना देना अनिवार्य है।
अगर JLKM के आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित अधिकारियों पर आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती है।
आगे की स्थिति
फिलहाल पुलिस ने घटना की आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। झारखंड पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी। दूसरी ओर, JLKM और अन्य संगठन लगातार धरना-प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
प्रदेश में नक्सल गतिविधियों के मद्देनज़र सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और सीमावर्ती जिलों में भी गश्त बढ़ा दी गई है।