हापुड़ टोल प्लाजा पर संकट: कंपनी को रोजाना 55 लाख का नुकसान, सामने आई वजह

हापुड़ टोल प्लाजा पर संकट: कंपनी को रोजाना 55 लाख का नुकसान, सामने आई वजह

हापुड़ (उत्तर प्रदेश)। गढ़मुक्तेश्वर और ब्रजघाट के बीच स्थित नेशनल हाईवे 9 पर टोल प्लाजा पर इन दिनों भारी अव्यवस्था देखने को मिल रही है। भारी बारिश, जलभराव और क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण वाहनों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसका सीधा असर टोल कलेक्शन पर पड़ा है। टोल प्लाजा का संचालन करने वाली कंपनी को प्रतिदिन करीब 50 से 55 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस नुकसान की बड़ी वजह सड़क पर बने गहरे गड्ढे और ट्रैफिक की धीमी रफ्तार है।

वाहनों की संख्या में भारी गिरावट

गढ़मुक्तेश्वर और ब्रजघाट के बीच यह हाईवे मेरठ-बरेली को जोड़ता है और दिल्ली की ओर जाने वाले हजारों वाहन इसी मार्ग से गुजरते हैं। लेकिन हाल ही में हुई मूसलाधार बारिश ने इस मार्ग की हालत बेहद खराब कर दी है। सड़क जगह-जगह से टूट गई है, जिससे कई जगह पानी भर गया है। वाहनों को इन गड्ढों से होकर निकलना पड़ रहा है, जिससे लंबा जाम लग रहा है।

स्थिति इतनी खराब हो गई है कि पिछले एक सप्ताह में वाहनों की संख्या में 30 से 40 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। जहां रोजाना लगभग 80,000 से 1 लाख वाहन इस टोल प्लाजा से गुजरते थे, वहीं अब यह आंकड़ा घटकर 50,000 से भी नीचे आ गया है।

स्थानीय प्रशासन पर उठ रहे सवाल

टोल कंपनी ने इस मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन और एनएचएआई (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) को कई बार पत्र लिखा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। कंपनी का कहना है कि समय रहते सड़क की मरम्मत नहीं हुई, जिससे हालात और बिगड़ते गए। भारी वाहनों के फंसने और ट्रैफिक जाम के चलते कई बार लोगों को घंटों तक टोल पर इंतजार करना पड़ा है।

त्योहारों के सीजन में और बढ़ सकती है मुसीबत

टोल कंपनी को आशंका है कि यदि जल्द स्थिति नहीं सुधरी तो आगामी रक्षाबंधन और सावन मेले के दौरान हालात और खराब हो सकते हैं। गढ़मुक्तेश्वर में गंगा स्नान और धार्मिक मेलों के चलते हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। यदि सड़कों की मरम्मत नहीं हुई तो ये वाहन या तो दूसरे रास्तों की ओर रुख करेंगे या लंबा जाम झेलेंगे। इसका असर न सिर्फ आमजन पर पड़ेगा बल्कि टोल राजस्व पर भी गहरा असर पड़ेगा।

प्रशासन ने दिए आश्वासन, मगर कार्रवाई नहीं

हाईवे के इस हिस्से की देखरेख एनएचएआई के अधीन है। टोल कंपनी ने दावा किया है कि उन्होंने 5 बार तक लिखित रूप से एनएचएआई को मरम्मत की मांग की, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। वहीं, प्रशासन का कहना है कि मौसम खुलते ही सड़क की मरम्मत का कार्य शुरू किया जाएगा। फिलहाल जेसीबी मशीन और अस्थायी पैचवर्क से हालात संभालने की कोशिश की जा रही है।

स्थानीय लोगों का फूटा गुस्सा

स्थानीय लोगों और रोज यात्रा करने वाले वाहन चालकों में भी भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि जब हम टोल टैक्स पूरा दे रहे हैं तो सड़कें इतनी बदहाल क्यों हैं?

एक स्थानीय व्यापारी राकेश गुप्ता ने कहा, “हम रोज इसी रास्ते से आते हैं। हर दिन जाम, गड्ढे और कीचड़ से जूझना पड़ता है। टोल पर पैसे तो पूरे लिए जाते हैं, लेकिन सुविधाएं शून्य हैं।”

कंपनी ने बताया नुकसान का गणित

टोल कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि औसतन एक वाहन से 60 से 70 रुपये का राजस्व मिलता है। जब हजारों वाहन कम होकर निकलते हैं, तो नुकसान करोड़ों तक पहुंच जाता है। उन्होंने बताया, “इस समय हमारी रोज की आमदनी करीब 55 लाख रुपये कम हो गई है। ये सीधा नुकसान है, जो सड़क की स्थिति के चलते हो रहा है।”

हाईवे की खराब हालत से कारोबारी भी परेशान

हाईवे पर ट्रक और लॉजिस्टिक वाहन भी बड़ी संख्या में चलते हैं, जो गाजियाबाद, मुरादाबाद, बरेली और दिल्ली के व्यापारिक केंद्रों से जुड़े हैं। सड़क की खराब हालत के चलते ट्रक ऑपरेटरों को भारी नुकसान हो रहा है। समय पर माल नहीं पहुंचने से सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है। इससे खाद्य पदार्थों, निर्माण सामग्री और अन्य वस्तुओं की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है।

समाधान क्या है?

विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए सड़क पर समय से मरम्मत कार्य किया जाना चाहिए था। अब प्रशासन को चाहिए कि वे इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम तैनात करें, गड्ढों को तुरंत भरे, और वाहनों की आवाजाही सामान्य बनाएं।

हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर-ब्रजघाट टोल प्लाजा पर हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं। टोल कंपनी को जहां भारी राजस्व घाटा हो रहा है, वहीं आम लोग घंटों तक ट्रैफिक में फंसे रहने को मजबूर हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन और एनएचएआई कब तक इस मामले पर कार्रवाई करते हैं, और क्या कंपनी को हुए करोड़ों के नुकसान की भरपाई किसी स्तर पर हो पाएगी या नहीं।

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