
दिल्ली नगर निगम (MCD) ने आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है। राजधानी में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या न केवल नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन रही है बल्कि सुरक्षा और स्वच्छता को भी प्रभावित कर रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए MCD अब एक समान मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। इस SOP के तहत शेल्टर होम मॉडल, फीडिंग प्वाइंट की व्यवस्था, बंध्याकरण प्रक्रिया और माइक्रो चिप लगाने जैसे अहम प्रावधान शामिल किए जाएंगे।
NCR के निगमों के साथ समन्वय
दिल्ली MCD इस योजना को सिर्फ राजधानी तक सीमित नहीं रखना चाहता। इसके लिए एनसीआर के प्रमुख निगमों—गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और गाजियाबाद—के साथ भी समन्वय स्थापित किया जाएगा। फरीदाबाद में पहले से चल रहे बंध्याकरण और माइक्रो चिप लगाने के मॉडल को आधार बनाकर पूरे NCR में एकरूपता लाने की दिशा में विचार किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही उच्चस्तरीय बैठक बुलाई जाएगी।
शेल्टर होम और फीडिंग प्वाइंट पर विशेष ध्यान
MCD का कहना है कि आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर होम बनाए जाएंगे, जहां उन्हें सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में रखा जा सके। इसके अलावा, शहर में फीडिंग प्वाइंट्स भी तय किए जाएंगे ताकि कुत्तों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था नियंत्रित ढंग से की जा सके और उनकी आवाजाही बस्तियों में कम हो।
माइक्रो चिप और बंध्याकरण प्रक्रिया
फरीदाबाद मॉडल के तर्ज पर, आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद उनका बंधन (Sterilization) किया जाएगा और उनके शरीर में एक माइक्रो चिप लगाई जाएगी। यह चिप उनकी पहचान और ट्रैकिंग के लिए उपयोगी होगी। इस व्यवस्था से कुत्तों के बार-बार पकड़े जाने की समस्या समाप्त होगी और रिकॉर्ड प्रबंधन आसान होगा।
नागरिकों की सुरक्षा प्राथमिकता
आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाएं समय-समय पर सुर्खियों में आती रही हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह बड़ी समस्या बन चुकी है। MCD का यह कदम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है। निगम का कहना है कि इस प्रक्रिया में पशु कल्याण और नागरिक सुरक्षा दोनों को संतुलित किया जाएगा।
एनजीओ और पशु प्रेमियों से सहयोग
MCD इस पूरी प्रक्रिया में पशु कल्याण संगठनों और पशु प्रेमियों को भी शामिल करेगा। उनका सुझाव और सहयोग लेकर ही SOP को अंतिम रूप दिया जाएगा ताकि यह सभी पक्षों के लिए व्यवहारिक और प्रभावी हो सके।
आगे की राह
MCD के अधिकारियों का कहना है कि एक बार SOP तैयार हो जाने के बाद, इसके क्रियान्वयन के लिए बजट और संसाधनों का आवंटन भी किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए नियमित मॉनिटरिंग और ऑडिट भी किया जाएगा।