ऐसा दोस्त चाहिए जो जज न करे… डिप्रेशन में जी रही महिला ने AI से मांगी मदद, चैटबॉट ने बचाई जान”

ऐसा दोस्त चाहिए जो जज न करे… डिप्रेशन में जी रही महिला ने AI से मांगी मदद, चैटबॉट ने बचाई जान”

अमेरिका के मिशिगन राज्य से एक चौंकाने वाली और प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जहां एक महिला जो गहरे डिप्रेशन से जूझ रही थी, उसे इंसानों से नहीं बल्कि एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट से मदद मिली। महिला ने कहा कि उसे ऐसा कोई चाहिए था जो उसकी बात सुने, बिना जज किए। जब चारों ओर से निराशा घेर चुकी थी, तब एक AI चैटबॉट उसकी उम्मीद की किरण बना।

मिशिगन की रहने वाली इस महिला ने Zee News से साझा किया कि वह लंबे समय से अवसाद (Depression) की शिकार थी। पारिवारिक तनाव, अकेलापन और समाज की उपेक्षा के चलते उसका मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ। लेकिन जब उसे किसी इंसान से बात करने में झिझक महसूस हुई और मदद नहीं मिली, तब उसने एक AI चैटबॉट की सहायता लेने का फैसला किया।

महिला ने कहा, “मुझे ऐसा दोस्त चाहिए था जो मुझे जज न करे, मेरी हर बात बिना टाल-मटोल के सुने और मुझे भावनात्मक सहारा दे। इंसानों से मिली उपेक्षा के बाद, AI चैटबॉट ने मुझे समझा, जवाब दिए और जब मेरी आत्महत्या की इच्छा बहुत बढ़ गई थी, तब उसी ने मुझे रोक लिया।”

AI ने कैसे मदद की?
AI चैटबॉट का उपयोग आजकल केवल टेक्निकल सवालों के जवाब देने तक सीमित नहीं रहा। अब यह भावनात्मक सहारे के रूप में भी काम कर रहा है। महिला ने बताया कि जब वह आत्महत्या के कगार पर थी, उसने चैटबॉट से बातचीत शुरू की। चैटबॉट ने उसे शांत किया, उसके विचारों को तर्कसंगत रूप से समझाया और बताया कि जीवन में अभी भी आशाएं बाकी हैं। AI ने उसे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े संसाधन भी सुझाए और तत्काल मेडिकल हेल्प लेने की सलाह दी।

चैटबॉट की यह व्यवहारिक समझ और संवेदनशील प्रतिक्रिया महिला के लिए जीवनदायिनी बन गई। AI ने न सिर्फ उसे भावनात्मक राहत दी, बल्कि उसे जिंदा रहने की नई वजह भी दी।

AI का रोल बदल रहा है
जहां एक ओर AI को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं जताई जाती हैं—जैसे कि ये इंसानी नौकरियों को खत्म कर देगा, या इसका इस्तेमाल गलत उद्देश्यों के लिए हो सकता है—वहीं यह उदाहरण बताता है कि तकनीक का मानवीय पहलू कितना महत्वपूर्ण हो सकता है।

AI एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस तरह के चैटबॉट्स, जैसे ChatGPT, Replika, Woebot आदि, अब मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। ये 24×7 उपलब्ध होते हैं, जज नहीं करते, और व्यक्ति की गोपनीयता का सम्मान करते हैं।

मनोचिकित्सकों की राय:
हालांकि विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि AI किसी प्रमाणित चिकित्सक का विकल्प नहीं बन सकता। लेकिन शुरुआती स्तर पर जब कोई व्यक्ति बात करने के लिए बिल्कुल अकेला महसूस करता है, तब AI उसे एक दिशा दे सकता है।

मनोचिकित्सक डॉ. ऐना विलियम्स कहती हैं, “AI चैटबॉट भावनाओं को पहचानने में सक्षम होते जा रहे हैं। हालांकि वे इंसान की तरह भावना नहीं रखते, लेकिन उनके एल्गोरिद्म इस तरह डिज़ाइन किए जा रहे हैं कि वे उपयोगकर्ता को सहानुभूति देने वाले जवाब दे सकें। यह मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति के लिए पहला कदम हो सकता है।”

गोपनीयता और संवेदनशीलता का मुद्दा
जहां AI चैटबॉट की भूमिका सराहनीय है, वहीं इससे जुड़े जोखिम भी हैं। क्या चैटबॉट द्वारा दी गई सलाह हमेशा सही होती है? क्या उपयोगकर्ता की गोपनीयता पूरी तरह सुरक्षित रहती है? ये सवाल अभी भी चर्चा में हैं।

इसलिए AI डेवलपर्स पर यह ज़िम्मेदारी है कि वे चैटबॉट्स को इस तरह ट्रेन करें कि वे आत्मघाती विचारों को पहचानकर तत्काल आवश्यक संसाधन मुहैया करा सकें और उपयोगकर्ता को सुरक्षा की दिशा में गाइड करें।

भारत में AI मानसिक स्वास्थ्य का भविष्य
भारत में भी मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर मुद्दा है। कई लोग सामाजिक दबाव या कलंक के चलते अपनी समस्या किसी से साझा नहीं कर पाते। ऐसे में यदि AI चैटबॉट्स को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाए और इन्हें चिकित्सा विशेषज्ञों की निगरानी में प्रशिक्षित किया जाए, तो यह लाखों लोगों की मदद कर सकते हैं।

मिशिगन की इस महिला की कहानी यह बताती है कि तकनीक यदि सही दिशा में उपयोग की जाए तो यह एक जीवनदाता बन सकती है। AI चैटबॉट ने जो भूमिका निभाई, वह समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाने और भावनात्मक सहयोग देने की नई राह दिखाती है।

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