भारतीय वायुसेना को मिलेंगे 97 LCA मार्क 1A फाइटर जेट: ₹62 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट को मंजूरी, HAL को मिलेगा ऑर्डर

 

नई दिल्ली। देश की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए 97 एलसीए (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) तेजस मार्क-1ए खरीदने की मंजूरी दे दी है। इस मेगा डिफेंस प्रोजेक्ट पर लगभग ₹62,000 करोड़ खर्च होंगे। इस निर्णय के बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को यह एयरक्राफ्ट बनाने का ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।

97 नए लड़ाकू विमानों से वायुसेना होगी और ताकतवर

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, एलसीए तेजस मार्क-1ए की यह डील भारतीय वायुसेना की हवाई ताकत को अगले दशक तक नए आयाम देने वाली साबित होगी। अभी वायुसेना के पास सीमित संख्या में तेजस विमान मौजूद हैं। नए ऑर्डर के बाद स्क्वॉड्रन स्ट्रेंथ में बड़ा इजाफा होगा। वायुसेना के पास फिलहाल लगभग 30 स्क्वॉड्रन हैं, जबकि इसकी जरूरत 42 स्क्वॉड्रन की है। तेजस के आने से यह कमी काफी हद तक पूरी होगी।

स्वदेशी विमानन क्षमता को मिलेगा बढ़ावा

एलसीए तेजस मार्क-1ए पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित फाइटर जेट है। इसे HAL ने एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) के सहयोग से तैयार किया है। यह विमान न केवल आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देगा, बल्कि भारत को विदेशी लड़ाकू विमानों पर निर्भरता से भी मुक्ति दिलाएगा। डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर स्वदेशी विमानों की खरीद भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देगी।

क्यों खास है LCA मार्क-1A

तेजस मार्क-1ए अपने पिछले वर्जन से कहीं ज्यादा एडवांस्ड है। इसमें अत्याधुनिक रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, बेहतर एवियोनिक्स और हथियार क्षमता दी गई है। यह विमान हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस हो सकता है। इसकी ‘बियॉन्ड विजुअल रेंज’ (BVR) मिसाइल क्षमता इसे आधुनिक हवाई युद्ध में बेहद घातक बनाती है।

वजन में हल्का और बेहद तेज

मल्टी-रोल कॉम्बैट ऑपरेशन करने में सक्षम

आधुनिक रडार और इलेक्ट्रॉनिक काउंटर मेजर्स

रिफ्यूलिंग क्षमता और लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम

2029 तक मिलेंगे सभी विमान

HAL को इस मेगा ऑर्डर के तहत चरणबद्ध तरीके से वायुसेना को विमान सौंपने होंगे। अनुमान है कि 2029 तक भारतीय वायुसेना को सभी 97 विमान मिल जाएंगे। HAL पहले से ही 83 तेजस मार्क-1ए के ऑर्डर पर काम कर रहा है, जिन्हें 2024 से 2028 तक डिलीवर करने की योजना है। अब नए ऑर्डर के जुड़ने से उत्पादन क्षमता को और बढ़ाया जाएगा।

रक्षा क्षेत्र में रोजगार और निवेश का नया अवसर

₹62 हजार करोड़ की इस डील से न सिर्फ वायुसेना की ताकत बढ़ेगी, बल्कि देश के एयरोस्पेस सेक्टर में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। HAL और इसके सप्लायर नेटवर्क में हजारों इंजीनियर, टेक्नीशियन और स्किल्ड वर्कर्स को रोजगार मिलेगा। साथ ही, इस प्रोजेक्ट से MSME सेक्टर को भी भारी लाभ होगा, क्योंकि HAL के साथ काम करने वाली लगभग 500 कंपनियां इस सप्लाई चेन का हिस्सा हैं।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी छलांग

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) को वास्तविक धरातल पर उतारने का एक महत्वपूर्ण कदम है। अभी तक भारत लड़ाकू विमानों के लिए रूस, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों पर निर्भर रहा है। लेकिन तेजस के बड़े पैमाने पर उत्पादन से भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि भविष्य में अन्य देशों को भी इस विमान का निर्यात कर सकता है।

प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री का फोकस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लगातार घरेलू रक्षा उत्पादन पर जोर देते आए हैं। इससे पहले 2021 में भी 83 तेजस मार्क-1ए की खरीद को मंजूरी दी गई थी। अब 97 विमानों की इस नई मंजूरी से सरकार के आत्मनिर्भर भारत विजन को और मजबूती मिली है।

नतीजा

भारतीय वायुसेना के लिए 97 तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों की मंजूरी सिर्फ एक रक्षा सौदा नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक मजबूती, तकनीकी आत्मनिर्भरता और भविष्य की सुरक्षा नीति का हिस्सा है। यह सौदा भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करेगा जो अपने लड़ाकू विमान खुद डिजाइन और निर्मित करने की क्षमता रखते हैं।

 

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