
Jharkhand metric result: स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का फेल रिजल्ट, 19 संस्थानों पर सीएम हेमंत सोरेन का शिकंजा।
झारखंड में मैट्रिक परीक्षा (कक्षा 10वीं) के निराशाजनक परिणाम के बाद राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संबंध में राज्य के 19 सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और इन स्कूलों से खराब प्रदर्शन को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
गौरतलब है कि इन स्कूलों को “स्कूल ऑफ एक्सीलेंस” के रूप में विकसित किया गया था, ताकि वे बाकी शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकें। सरकार ने इन स्कूलों में अत्याधुनिक सुविधाएं, प्रशिक्षित शिक्षक, डिजिटल क्लासरूम और अन्य संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की थी। लेकिन इसके बावजूद इन स्कूलों का 10वीं बोर्ड परीक्षा में प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
सीएम ने जताई नाराजगी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस स्थिति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि इतने संसाधनों के बावजूद भी छात्रों का प्रदर्शन स्तर नहीं सुधरता है, तो इसकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी खर्च से संचालित इन स्कूलों का उद्देश्य सिर्फ भवन निर्माण नहीं बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
सीएम ऑफिस से संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे स्कूलों से जल्द से जल्द रिपोर्ट मंगवाएं और यह स्पष्ट करें कि परिणाम खराब क्यों आए। जिन स्कूलों में छात्रों का पास प्रतिशत न्यूनतम स्तर पर रहा है, वहां की शिक्षण व्यवस्था, स्टाफ उपस्थिति, छात्रों की उपस्थिति, और शैक्षणिक वातावरण की समीक्षा की जा रही है।
स्कूलों को दिए गए निर्देश
शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार सभी 19 स्कूलों को यह स्पष्ट करना होगा:
परीक्षा में छात्रों के खराब प्रदर्शन के मुख्य कारण क्या रहे?
क्या सभी विषयों के लिए शिक्षक उपलब्ध थे?
कितने छात्रों ने परीक्षा दी और उनका औसत परिणाम क्या रहा?
स्कूल प्रशासन ने परीक्षा की तैयारी के लिए क्या कदम उठाए थे?
आगे की कार्रवाई संभव
सूत्रों के अनुसार, अगर स्कूलों द्वारा दिए गए जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाते हैं, तो संबंधित प्राचार्यों या शिक्षकों पर कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही स्कूलों की रैंकिंग और उनकी आगे की मान्यता पर भी विचार किया जा सकता है।
शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और सरकारी स्कूलों की निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और डिजिटल संसाधनों की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर परिणाम अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे।