शराब घोटाले पर बाबूलाल मरांडी का हेमंत सोरेन पर सीधा हमला ।

 

रांची। झारखंड की सियासत इन दिनों शराब घोटाले को लेकर गरमा गई है। राज्य के पहले मुख्यमंत्री और वर्तमान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार पर तीखा हमला बोला है। मरांडी ने आरोप लगाया कि सरकार ने शराब घोटाले से जुड़े अहम मामले में जानबूझकर 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं की, ताकि आरोपियों को कानूनी राहत मिल सके।

बाबूलाल मरांडी का बड़ा बयान

मरांडी ने प्रेस वार्ता में कहा कि यह पूरा मामला सरकार की मिलीभगत को दर्शाता है। उनका कहना था कि इतना बड़ा घोटाला होने के बावजूद चार्जशीट समय पर दाखिल न करना सीधे तौर पर भ्रष्टाचार को बचाने की कोशिश है। उन्होंने इसे जनता के साथ धोखा और न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ बताया।

मरांडी ने कहा, “सरकार चाहती तो चार्जशीट समय पर दाखिल हो सकती थी, लेकिन जानबूझकर देरी की गई। यह साबित करता है कि पूरा खेल सत्ता के संरक्षण में चल रहा है।”

शराब घोटाले का बैकग्राउंड

झारखंड में शराब नीति लागू होने के बाद से ही इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठते रहे हैं। राज्य में शराब की बिक्री और आपूर्ति से जुड़े ठेकों के आवंटन में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप है। ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) जैसी एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं।
बताया जाता है कि करोड़ों रुपये के इस घोटाले में शराब ठेकेदारों से लेकर अफसरों और नेताओं तक की मिलीभगत सामने आ चुकी है।

90 दिन का नियम और कानूनी पेंच

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत किसी आरोपी के खिलाफ गिरफ्तारी के बाद 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो आरोपी को जमानत पाने का अधिकार मिल जाता है।
मरांडी का आरोप है कि हेमंत सरकार ने यही खेल खेला। उन्होंने कहा कि चार्जशीट दाखिल न करना आरोपियों को बचाने और सबूत कमजोर करने की साजिश है।

विपक्ष का हमला तेज

भाजपा ने इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। मरांडी ने कहा कि उनकी पार्टी इस घोटाले को लेकर सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठाएगी। उन्होंने सवाल किया कि आखिरकार किसके दबाव में सरकार ने जांच को कमजोर किया और क्यों अब तक जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं पर कार्रवाई नहीं हुई?

हेमंत सरकार की चुप्पी

सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सत्ता पक्ष के नेताओं का कहना है कि भाजपा सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को तूल दे रही है। उनका तर्क है कि मामले की जांच एजेंसियां कर रही हैं और कानून अपना काम कर रहा है।
फिर भी, मरांडी के आरोपों से सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।

जनता में गुस्सा और विपक्ष की रणनीति

इस घोटाले की वजह से राज्य की जनता खासतौर पर युवा और मध्यम वर्ग नाराज़ बताए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार ने राजस्व बढ़ाने और पारदर्शिता के नाम पर शराब नीति लागू की थी, लेकिन यह अब भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा बन गई है।
भाजपा इसे लेकर जन आंदोलन छेड़ने की योजना बना रही है। मरांडी का कहना है कि राज्य की छवि दागदार हो चुकी है और अब जनता सरकार को सबक सिखाएगी।

राजनीतिक मायने

झारखंड में आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा बड़ा राजनीतिक हथियार बन सकता है। भाजपा चाहती है कि इसे जनता के बीच भ्रष्टाचार और सुशासन के सवाल से जोड़ा जाए।
वहीं, झामुमो-कांग्रेस गठबंधन इसे साजिश बताकर विपक्ष पर पलटवार कर सकता है।

 

झारखंड का शराब घोटाला सिर्फ वित्तीय अनियमितताओं का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह राज्य की राजनीति का बड़ा विवाद बन चुका है। बाबूलाल मरांडी के ताज़ा हमले से साफ है कि भाजपा इस मुद्दे को लंबा खींचने वाली है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस आरोप का क्या जवाब देती है और जांच एजेंसियां आगे क्या कदम उठाती हैं।

 

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