प. बंगाल में दुर्गा पंडालों के लिए ममता सरकार ने बांटे ₹500 करोड़, 7 साल में मदद 11 गुना बढ़ी

प. बंगाल में दुर्गा पंडालों के लिए ममता सरकार ने बांटे ₹500 करोड़, 7 साल में मदद 11 गुना बढ़ी

कोलकाता।पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का त्योहार सिर्फ धार्मिक उत्सव ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों का भी बड़ा केंद्र माना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस साल राज्य के दुर्गा पूजा समितियों को ₹500 करोड़ की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। खास बात यह है कि यह राशि पिछले सात वर्षों में 11 गुना बढ़ गई है।

राज्य सरकार ने साफ किया है कि दुर्गा पूजा समितियों को मिलने वाली यह वित्तीय सहायता सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के लिए दी जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में इस साल करीब 45,000 दुर्गा पंडाल बनाए जा रहे हैं, जिनमें से अधिकतर समितियों को इस सरकारी सहायता का लाभ मिलेगा।

 

7 साल में 11 गुना बढ़ी मदद

ममता सरकार ने 2016 में पहली बार दुर्गा पूजा समितियों को ₹10 हजार की सहायता दी थी। इसके बाद धीरे-धीरे यह राशि बढ़ती गई। 2018 में इसे बढ़ाकर ₹25 हजार किया गया, फिर 2020 में ₹50 हजार कर दिया गया। पिछले साल यह रकम ₹60 हजार थी, जबकि 2025 में इसे और बढ़ाकर कुल मिलाकर ₹500 करोड़ का बजट तय किया गया है।

जानकारों के मुताबिक, यह मदद न केवल समितियों को वित्तीय सहारा देती है, बल्कि त्योहार से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों—जैसे मूर्तिकार, पंडाल सज्जाकार, बिजलीकर्मी, दर्जी, कलाकार, और छोटे दुकानदारों—के लिए भी वरदान साबित होती है।

45 हजार पंडालों में बंटेगा अनुदान

राज्य सरकार ने कहा है कि इस साल कुल 45 हजार से ज्यादा पंडालों को यह अनुदान मिलेगा। हर समिति को निश्चित राशि के साथ-साथ बिजली बिल में भी छूट दी जाएगी। इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन को विशेष इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं।

कोलकाता के प्रमुख पूजा पंडाल जैसे बागबाजार, कॉलेज स्क्वायर, दुर्गा बाड़ी और सोभा बाजार राजबाड़ी हर साल लाखों भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। सरकार का मानना है कि इन आयोजनों को समर्थन देने से बंगाल की सांस्कृतिक पहचान और मजबूत होगी।

विपक्ष के निशाने पर ममता सरकार

जहां एक ओर दुर्गा पूजा समितियों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है, वहीं विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं। बीजेपी और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार को जनता की बुनियादी जरूरतों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, न कि धार्मिक आयोजनों पर इतना बड़ा खर्च करना चाहिए।

बीजेपी नेताओं का आरोप है कि ममता सरकार इस तरह के कदमों से सीधे-सीधे वोट बैंक की राजनीति कर रही है। उनका कहना है कि सरकारी खजाने से धार्मिक आयोजनों को फंड करना संविधान की धर्मनिरपेक्षता की भावना के खिलाफ है।

ममता का पलटवार

वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि दुर्गा पूजा केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह बंगाल की संस्कृति और पहचान से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा अब यूनेस्को की “Intangible Cultural Heritage” सूची में भी शामिल है, जो पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है।

ममता ने दावा किया कि दुर्गा पूजा से हर साल राज्य की अर्थव्यवस्था में हजारों करोड़ रुपये का प्रवाह होता है। पंडाल पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, होटल और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को कारोबार मिलता है और लाखों लोगों को अस्थायी रोजगार मिलता है।

आर्थिक और सामाजिक पहलू

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुर्गा पूजा के दौरान बंगाल की अर्थव्यवस्था में लगभग ₹45-50 हजार करोड़ का लेन-देन होता है। छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े शॉपिंग मॉल्स तक इस सीजन में बिक्री बढ़ जाती है। साथ ही, पर्यटक भी बड़ी संख्या में बंगाल पहुंचते हैं, जिससे होटल और रेस्टोरेंट्स की आय में इजाफा होता है।

कला और संस्कृति से जुड़े लोग भी इस दौरान रोजगार पाते हैं। पंडाल सजावट, लाइटिंग, पारंपरिक नृत्य, बैंड, और लोक कलाकारों को मंच मिलता है। यही वजह है कि सरकार इसे “सांस्कृतिक निवेश” मानकर समर्थन दे रही है।

पुलिस-प्रशासन की तैयारियां

त्योहार के दौरान भीड़ को देखते हुए राज्य पुलिस ने खास इंतजाम किए हैं। कोलकाता पुलिस ने हर बड़े पंडाल के आसपास सीसीटीवी कैमरे, महिला सुरक्षा हेल्प डेस्क और आपातकालीन कंट्रोल रूम की व्यवस्था की है। ट्रैफिक पुलिस ने भी रूट मैप जारी किया है ताकि भीड़ प्रबंधन में दिक्कत न हो।

नतीजा क्या होगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि ममता बनर्जी का यह कदम एक तरफ बंगाल की सांस्कृतिक ताकत को वैश्विक पहचान दिलाने में मदद करेगा, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे चुनावी फायदा उठाने की रणनीति के तौर पर देख रहा है।

इस फैसले का राजनीतिक असर क्या होगा, यह तो आने वाले चुनावों में पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि दुर्गा पूजा में सरकारी समर्थन से पंडाल आयोजकों और आम जनता की भागीदारी और उत्साह पहले से कहीं ज्यादा देखने को मिलेगा।

 

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