
“ऑपरेशन सिंदूर से बदला हिंदुस्तान: पीएम मोदी का संसद सत्र से पहले बड़ा बयान”
2025 के मॉनसून सत्र की शुरुआत से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बातचीत के दौरान “ऑपरेशन सिंदूर” का ज़िक्र करते हुए आतंक के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई की जानकारी दी। संसद भवन परिसर में पत्रकारों से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि “22 मिनट के भीतर आतंकवादियों के आकाओं के घरों को जमींदोज कर दिया गया।” इस बयान ने देश की सुरक्षा नीति, सैन्य रणनीति और राजनीतिक दृढ़ता को एक बार फिर राष्ट्रीय बहस के केंद्र में ला खड़ा किया है।
नई दिल्ली।आज से संसद का मॉनसून सत्र 2025 शुरू हो रहा है और इसकी शुरुआत से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा बयान दिया है जो आने वाले हफ्तों में राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य चर्चाओं को गरमा सकता है। संसद परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री ने “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता का ज़िक्र करते हुए बताया कि सिर्फ 22 मिनट के भीतर भारत ने अपने दुश्मनों के खिलाफ सटीक और निर्णायक कार्रवाई को अंजाम दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के तहत, 22 मिनट के अंदर, आतंकवादियों के आकाओं के घरों को जमींदोज कर दिया गया। यह भारत की नई नीति का प्रमाण है—नया भारत सहता नहीं, जवाब देता है।”
क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
हालांकि इस ऑपरेशन की विस्तृत जानकारी औपचारिक रूप से सामने नहीं आई है, लेकिन सुरक्षा सूत्रों के हवाले से मिली जानकारियों के अनुसार यह एक सीमापार सैन्य कार्रवाई थी, जिसका मकसद उन गुटों को निशाना बनाना था जो भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह मिशन हाई-प्रिसिजन एयर स्ट्राइक या ड्रोन अटैक के रूप में अंजाम दिया गया, और इसका समय बेहद कम—सिर्फ 22 मिनट—में ऑपरेशन पूरा किया गया।
मोदी का यह बयान किस ओर संकेत कर रहा है?
प्रधानमंत्री मोदी का यह वक्तव्य केवल एक सैन्य सफलता का दावा नहीं, बल्कि संसद सत्र के स्वरूप की झलक भी दे रहा है। इससे यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, सीमावर्ती चुनौतियां और सैन्य रणनीति इस सत्र के मुख्य विषयों में शामिल हो सकते हैं। विपक्ष जहां महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है, वहीं सरकार अब अपने सख्त और आक्रामक रुख को सामने रख सकती है।
कूटनीतिक संदेश भी साफ
ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए भारत ने न सिर्फ आतंकी गुटों को संदेश दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। यह एक रणनीतिक और राजनीतिक दोनों स्तर पर मजबूत स्टैंड है। ऐसे समय में जब पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में तनाव बना हुआ है, यह ऑपरेशन एक कूटनीतिक दांव भी माना जा सकता है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री के इस बयान के तुरंत बाद विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है। कुछ नेताओं ने ऑपरेशन को सेना की बहादुरी बताते हुए उसका समर्थन किया, वहीं कुछ विपक्षी दलों ने यह सवाल उठाया कि क्या इस ऑपरेशन की सूचना पहले से संसद को दी गई थी? क्या यह सूचना रणनीतिक समय पर राजनीतिक लाभ के लिए दी गई? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, “हम सेना के साथ हैं, लेकिन सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसका टाइमिंग क्या महज संयोग है?”
सुरक्षा नीति की नई परिभाष
प्रधानमंत्री का बयान एक बार फिर यह साबित करता है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव आ चुका है। अब जवाबी कार्रवाई केवल कूटनीतिक बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि उसका स्वरूप ठोस और तेज हो चुका है। मोदी सरकार पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019) जैसे कदमों के जरिए अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है।
संसद सत्र में बनेगा माहौल
इस बयान से यह तय है कि संसद का मॉनसून सत्र अब केवल विधायी कार्यों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता पर व्यापक बहस छिड़ सकती है। सत्तापक्ष इस उपलब्धि को राष्ट्रहित में उठाए गए निर्णायक कदम के रूप में पेश करेगा, तो विपक्ष जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग करेगा।
“ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर पीएम मोदी का बयान न केवल एक सैन्य कार्रवाई का ज़िक्र है, बल्कि यह भारत के आत्मविश्वास, निर्णायक नेतृत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा की बदलती परिभाषा का परिचायक है। इस सत्र में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद इस मसले पर कितनी एकजुटता दिखाती है या राजनीतिक मतभेद इस पर भी हावी होते हैं। एक बात तय है—देश अब चुप नहीं बैठता, जवाब देता है, वो भी 22 मिनट में!