
भारत से रिश्ते सुधारने को तैयार पाकिस्तान! शहबाज शरीफ बोले- गंभीर और सार्थक बातचीत चाहते हैं
नई दिल्ली/इस्लामाबाद। भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में संभावित बदलाव की ओर एक नई पहल सामने आई है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि उनका देश भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों को हल करने के लिए “गंभीर और सार्थक बातचीत” के लिए तैयार है। यह बयान उन्होंने इस्लामाबाद में ब्रिटिश उच्चायुक्त जेन मैरियट से मुलाकात के दौरान दिया।
शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है और भारत के साथ अच्छे पड़ोसी संबंध चाहता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान भारत से सभी विवादों, विशेष रूप से कश्मीर मुद्दे को, शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहता है।
कूटनीतिक संकेतों का महत्व
शरीफ का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत और पाकिस्तान के रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण बने हुए हैं। पुलवामा हमले और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत पूरी तरह से ठप हो गई थी। इसके बाद अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के भारत के फैसले ने रिश्तों में और तल्खी ला दी थी। पाकिस्तान ने उस फैसले का विरोध करते हुए भारत से राजनयिक संबंधों को न्यूनतम स्तर पर ला दिया था।
हालांकि बीते कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक स्तर पर मामूली संकेत देखने को मिले हैं। शहबाज शरीफ का यह बयान इन्हीं संभावनाओं को और बल देता नजर आता है।
ब्रिटिश भूमिका पर ज़ोर
ब्रिटिश उच्चायुक्त से हुई मुलाकात में शरीफ ने यह भी कहा कि ब्रिटेन दक्षिण एशिया में स्थायी शांति लाने के लिए सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। पाकिस्तान की ओर से लगातार यह मांग उठती रही है कि वैश्विक शक्तियां भारत-पाकिस्तान वार्ता को बहाल कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभाएं, हालांकि भारत हमेशा से इस मुद्दे को द्विपक्षीय मानता आया है और किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को अस्वीकार करता रहा है।
कश्मीर मुद्दे पर फिर ज़ोर
शरीफ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार मिलना चाहिए और यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुसार हल होना चाहिए। हालांकि भारत इस रुख को पूरी तरह खारिज करता रहा है और इसे आंतरिक मामला बताता है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान को पहले आतंकवाद पर लगाम लगानी चाहिए और सीमापार से हो रहे आतंकी हमलों को रोकना चाहिए, तभी किसी सार्थक बातचीत की संभावना बन सकती है।
भारत की प्रतिक्रिया का इंतजार
शहबाज शरीफ के इस बयान पर भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है, लेकिन बातचीत का माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को राज्य की नीति के तौर पर इस्तेमाल करता रहेगा, तब तक बातचीत मुश्किल है।
क्या बदलेगी रिश्तों की दिशा?
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद खराब दौर से गुजर रही है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की शर्तों को पूरा करने के लिए उसे क्षेत्रीय स्थिरता की जरूरत है। ऐसे में यह बयान आर्थिक दबाव और वैश्विक कूटनीतिक समीकरणों का परिणाम हो सकता है।
पूर्व राजनयिक शशांक कहते हैं, “यह बयान महत्वपूर्ण जरूर है लेकिन इसे तभी गंभीरता से लिया जा सकता है जब पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाए और भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाज़ी बंद करे।”
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की यह टिप्पणी रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने की दिशा में एक संकेत जरूर है, लेकिन भारत की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया तभी संभव है जब पाकिस्तान अपनी कथनी और करनी में समानता दिखाए। जब तक सीमापार आतंकवाद और घुसपैठ पर लगाम नहीं लगती, तब तक किसी गंभीर और सार्थक संवाद की संभावना दूर की कौड़ी ही नजर आती है।