
हिरासत में राहुल गांधी और अखिलेश यादव, राजधानी में बढ़ा राजनीतिक तनाव ।
नई दिल्ली, 11 अगस्त। राजधानी दिल्ली में आज बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। दोनों नेता अलग-अलग विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने पहुंचे थे, जहां पुलिस ने उन्हें रोकते हुए हिरासत में ले लिया। इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया है और विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाया है।
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी संसद से निकलने के बाद इंडिया गेट के पास आयोजित कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में पहुंचे थे। प्रदर्शन का मकसद हालिया आर्थिक नीतियों, महंगाई, बेरोजगारी और कथित संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज बुलंद करना था। पुलिस ने मौके पर धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए राहुल गांधी को रोकने की कोशिश की, लेकिन जब वह आगे बढ़ते रहे तो उन्हें हिरासत में लेकर पुलिस वाहन से थाने ले जाया गया।
इसी तरह, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश भवन के पास आयोजित एसपी कार्यकर्ताओं के धरने के दौरान हिरासत में लिया गया। अखिलेश यादव किसानों की समस्याओं, युवाओं की बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर सरकार को घेरने निकले थे। पुलिस के अनुसार, धरना स्थल के लिए अनुमति नहीं ली गई थी और भीड़ बढ़ने से कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका थी। पुलिस ने मौके पर मौजूद कई कार्यकर्ताओं के साथ अखिलेश को भी हिरासत में ले लिया।
दोनों नेताओं की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में विपक्षी दलों के समर्थक सड़कों पर उतर आए। कांग्रेस मुख्यालय और समाजवादी पार्टी के दफ्तर के बाहर भारी संख्या में समर्थकों ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कई जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की की भी खबरें आईं।
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, “यह लोकतंत्र का काला दिन है। जब विपक्ष जनता की आवाज बनकर सरकार से सवाल करता है, तो उसे हिरासत में लिया जाता है।” वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा, “केंद्र सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए प्रशासन का दुरुपयोग कर रही है। लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे।”
पुलिस का कहना है कि यह केवल “अस्थायी हिरासत” है और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, दोनों नेताओं को शाम तक रिहा कर दिया जाएगा, बशर्ते वे आगे कानून-व्यवस्था भंग करने जैसे किसी कदम में शामिल न हों।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम मौजूदा राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकता है। संसद के मानसून सत्र के दौरान पहले से ही विपक्ष और सरकार के बीच तीखी नोकझोंक चल रही है, और अब विपक्ष इस गिरफ्तारी को जनता के बीच बड़े मुद्दे के रूप में पेश करने की कोशिश करेगा।
घटनाक्रम के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर #ReleaseRahulGandhi और #StandWithAkhilesh जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। समर्थक लगातार वीडियो और तस्वीरें शेयर कर सरकार की आलोचना कर रहे हैं। वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि कानून सभी के लिए समान है और बिना अनुमति धरना या जुलूस करना नियमों का उल्लंघन है।
फिलहाल, राहुल गांधी और अखिलेश यादव को दिल्ली पुलिस के अलग-अलग थानों में रखा गया है। देर रात तक उनके समर्थकों और वकीलों की थानों के बाहर मौजूदगी बनी रही। अब निगाहें इस पर हैं कि क्या विपक्ष इस मुद्दे को संसद में भी जोर-शोर से उठाएगा और क्या इससे सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और तेज होगा।
यह गिरफ्तारी न केवल मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है, बल्कि आने वाले चुनावी माहौल में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। विपक्ष इसे “जनता की आवाज को दबाने” का उदाहरण बताएगा, वहीं सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने की मजबूरी का हवाला देगी। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी पारा और चढ़ने की पूरी संभावना है।