रांची: गैंगस्टर मयंक सिंह को लाने अज़रबैजान रवाना हुई ATS टीम।

रांची। झारखंड की राजधानी रांची से जुड़े कुख्यात गैंगस्टर मयंक सिंह को भारत लाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। झारखंड पुलिस की ATS (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) की विशेष टीम मंगलवार को अज़रबैजान के लिए रवाना हो गई है। माना जा रहा है कि जल्द ही उसे प्रत्यर्पण (Extradition) के जरिए रांची लाया जाएगा। मयंक सिंह लंबे समय से पुलिस की वांटेड लिस्ट में शामिल था और देशभर में कई मामलों में उसका नाम सामने आया है।

कौन है गैंगस्टर मयंक सिंह?

मयंक सिंह झारखंड और आसपास के राज्यों में सक्रिय एक कुख्यात अपराधी माना जाता है। पुलिस के अनुसार उस पर हत्या, रंगदारी, जमीन कब्जा, अवैध उगाही और गैंगवार जैसी कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं। रांची, बोकारो और धनबाद के कई थानों में उसके खिलाफ FIR दर्ज हैं।

कहा जाता है कि मयंक ने अपराध की दुनिया में बहुत कम समय में अपनी पैठ बना ली थी। उसके गिरोह में दर्जनों सक्रिय सदस्य हैं, जो अवैध वसूली, ठेकेदारी और जमीन विवादों में दखल देते थे।

फरार होकर विदेश भागा

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, मयंक सिंह पर जब कानून का शिकंजा कसना शुरू हुआ तो वह पहले दिल्ली और फिर नेपाल होते हुए अज़रबैजान भाग गया। इंटरपोल नोटिस जारी होने के बाद उसकी लोकेशन ट्रैक की गई। वहीं से झारखंड पुलिस ने विदेश मंत्रालय के जरिए प्रत्यर्पण की पहल की।

सूत्रों के अनुसार, अज़रबैजान पुलिस ने उसे हिरासत में लिया था और अब औपचारिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे भारत लाया जा रहा है।

ATS टीम की जिम्मेदारी

झारखंड ATS की टीम में वरिष्ठ अधिकारी और सुरक्षा कर्मी शामिल हैं। यह टीम अज़रबैजान जाकर मयंक सिंह को भारतीय अभिरक्षा में लेगी और उसे रांची लाएगी। माना जा रहा है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद झारखंड की अपराध की दुनिया में कई बड़े राज खुलेंगे।

पुलिस का मानना है कि मयंक सिंह की गिरफ्तारी से न केवल उसके गिरोह का नेटवर्क ध्वस्त होगा बल्कि जमीन माफिया और अवैध कारोबार से जुड़े कई गहरे लिंक भी उजागर हो सकते हैं।

पुलिस-प्रशासन की बड़ी उपलब्धि

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपराधियों को पकड़ना आसान नहीं होता। इसके लिए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय, इंटरपोल और स्थानीय एजेंसियों के बीच समन्वय जरूरी होता है। झारखंड ATS ने लंबे समय तक मयंक की लोकेशन और मूवमेंट पर नजर रखी थी।

अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई झारखंड पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। यह अपराधियों के लिए भी एक संदेश है कि चाहे वे कितनी भी दूर क्यों न भाग जाएं, कानून का शिकंजा जरूर कसेगा।

राजनीतिक और सामाजिक असर

मयंक सिंह का नाम कई बड़े नेताओं और प्रभावशाली लोगों से भी जोड़ा जाता रहा है। पुलिस को शक है कि उसके गिरोह का इस्तेमाल चुनावों और रियल एस्टेट कारोबार में भी हुआ है।

इस गिरफ्तारी से ऐसे नेटवर्क पर भी असर पड़ सकता है। वहीं, स्थानीय लोग मानते हैं कि मयंक के लौटने से कई पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।

एक्सपर्ट्स की राय

क्रिमिनोलॉजिस्ट्स का मानना है कि ऐसे अपराधी अगर विदेश में जाकर छिप जाते हैं तो उनका हौसला और बढ़ जाता है। लेकिन प्रत्यर्पण जैसी कार्रवाई यह साबित करती है कि भारत अब अपराधियों को कहीं भी छोड़ने वाला नहीं है।

आगे की प्रक्रिया

माना जा रहा है कि रांची लाए जाने के बाद मयंक सिंह को कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुलिस उसके खिलाफ दर्ज पुराने मामलों की केस डायरी कोर्ट को सौंपेगी। साथ ही उसके गिरोह के बाकी सदस्यों पर भी कार्रवाई तेज होगी।

झारखंड ATS और STF ने पहले से ही उसके नेटवर्क पर नजर रखी है। आने वाले दिनों में कई और खुलासे होने की संभावना है।

गैंगस्टर मयंक सिंह की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण झारखंड पुलिस की बड़ी जीत कही जा सकती है। रांची समेत पूरे प्रदेश में उसकी दहशत लंबे समय से बनी हुई थी। अब ATS टीम के अज़रबैजान पहुंचने और उसे भारत लाने की प्रक्रिया से यह साफ हो गया है कि अपराध चाहे कितना भी बड़ा हो, कानून से बचना संभव नहीं है।

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