
दिल्ली-एनसीआर में महसूस किए गए भूकंप के तेज झटके, फरीदाबाद रहा केंद्र, कोई जान-माल का नुकसान नहीं
नई दिल्ली। मंगलवार सुबह दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में अचानक भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे कुछ देर के लिए अफरातफरी का माहौल बन गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, सुबह 4:08 बजे आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.2 मापी गई। भूकंप का केंद्र हरियाणा के फरीदाबाद में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था।
हालांकि भूकंप की तीव्रता मध्यम से कम मानी जाती है और अब तक किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई आधिकारिक सूचना नहीं है, लेकिन स्थानीय नागरिकों के बीच डर और भ्रम की स्थिति जरूर देखी गई। कई लोग अपने घरों से बाहर निकल आए और कुछ देर तक खुले में ही खड़े रहे।
अचानक हिलने लगी धरती
दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद समेत एनसीआर के अन्य इलाकों में तड़के उस वक्त लोग चौंक गए जब उन्होंने अपने घरों की दीवारों, खिड़कियों और दरवाजों को हिलते हुए महसूस किया। नींद में सो रहे कई लोगों की आंखें झटके के कारण खुल गईं। कुछ इलाकों में लोगों ने सोशल मीडिया पर भी अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि झटके तेज थे और 4 से 5 सेकंड तक महसूस किए गए।
वैज्ञानिकों की राय
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि यह भूकंप दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्राकृतिक टेक्टॉनिक मूवमेंट के कारण आया है। उन्होंने कहा कि भूकंप की तीव्रता कम थी, इसलिए किसी तरह की बड़ी चिंता की बात नहीं है, लेकिन यह एक संकेत जरूर है कि दिल्ली-एनसीआर भूकंपीय दृष्टिकोण से संवेदनशील क्षेत्र में आता है।
डॉ. सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के छोटे-छोटे झटके ज़मीन के अंदर जमे टेक्टॉनिक प्लेट्स में तनाव की स्थिति को दर्शाते हैं। “ऐसे झटकों को हल्के अलर्ट की तरह लेना चाहिए और लोगों को इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि भविष्य में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है,” उन्होंने कहा।
विशेषज्ञों ने जताई चिंता
भूकंप विशेषज्ञ और जियोलॉजिस्ट्स लंबे समय से दिल्ली – एनसीआर को ‘जोखिम भरा क्षेत्र’ मानते आए हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर संजय रावत ने कहा कि दिल्ली क्षेत्र भूकंपीय जोन IV में आता है, जिसका मतलब है कि यह उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में गिना जाता है।
उन्होंने कहा, “छोटे भूकंप अक्सर राहत की बात होते हैं क्योंकि इससे दबाव रिलीज़ होता है, लेकिन अगर यह प्रक्रिया बार-बार हो और गहराई ज्यादा न हो, तो यह चिंता का विषय भी बन सकता है।”
लोगों में दिखी सतर्कता
झटके महसूस करते ही कई लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। नोएडा सेक्टर 12 में रहने वाले रोहित गुप्ता ने बताया, “सुबह अचानक दीवार में कंपन सा महसूस हुआ। पंखा भी हल्का-हल्का हिल रहा था। हमें कुछ समझ नहीं आया, लेकिन बाद में पता चला कि भूकंप आया था।”
इसी तरह, दिल्ली के लक्ष्मी नगर क्षेत्र की निवासी अंजू वर्मा ने कहा, “मैं सुबह की तैयारी कर रही थी तभी अचानक कुछ सेकंड के लिए ज़मीन हिलती हुई महसूस हुई। पहले सोचा कोई भारी गाड़ी गुजरी है, लेकिन बाद में टीवी पर समाचार देखकर भूकंप की पुष्टि हुई।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया
भूकंप की जानकारी मिलते ही दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) और संबंधित एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया। हालांकि, किसी तरह के नुकसान या आपातकाल की सूचना न मिलने के कारण किसी बड़ी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं पड़ी। फिर भी, प्रशासन ने नागरिकों से संयम बरतने और भविष्य में किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहने की अपील की है।
दिल्ली सरकार के गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “हम लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। भूकंप की तीव्रता कम थी, इसलिए किसी को घबराने की आवश्यकता नहीं है। फिर भी हम लोगों को सलाह देते हैं कि भूकंप के समय क्या करना चाहिए, इस संबंध में जागरूक रहें।”
क्या करें, क्या न करें
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए समय रहते सही जानकारी और तैयारी सबसे जरूरी होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, भूकंप के दौरान निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
घर के अंदर हैं तो किसी मजबूत टेबल के नीचे छिपें और सिर को हाथों से ढकें।
खिड़कियों, शीशों, भारी अलमारियों और अन्य वस्तुओं से दूर रहें।
अगर बाहर हैं तो खुले मैदान की ओर जाएं, किसी इमारत, बिजली के खंभे या पेड़ के नीचे खड़े न हों।
लिफ्ट का प्रयोग न करें, सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
भूकंप रुकने तक अपनी जगह पर ही रहें।
निष्कर्ष
हालांकि मंगलवार सुबह का यह भूकंप बड़ा नहीं था, लेकिन यह एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए नागरिकों को हमेशा सतर्क रहने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों और प्रशासन दोनों की यही सलाह है कि जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।
भूकंप भले ही प्राकृतिक आपदा हो, लेकिन सतर्कता और तैयारी के साथ इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि समय-समय पर नागरिकों को आपदा प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण और जानकारी देते रहें, ताकि किसी भी आपात स्थिति में जान-माल का नुकसान न्यूनतम हो