
चुनाव आयोग पर तेजस्वी यादव का दावा हुआ बेअसर, आयोग ने जारी की वोटर लिस्ट में मौजूद उनकी डिटेल
बिहार चुनावों की सरगर्मी के बीच एक बड़ा सियासी बयान चर्चा में है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दावा किया कि बिहार की वोटर लिस्ट में उनका नाम नहीं है। यह बयान जैसे ही सार्वजनिक हुआ, चुनाव आयोग ने तत्काल प्रतिक्रिया दी और फैक्ट चेक करते हुए वह वोटर लिस्ट सार्वजनिक की जिसमें तेजस्वी यादव का नाम, पता और सारी जानकारी स्पष्ट रूप से मौजूद है। इस पूरे घटनाक्रम ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है।
बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी तेज होती जा रही है। इसी क्रम में राजद नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि “चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में मेरा नाम ही नहीं है।” इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में बवाल खड़ा कर दिया और सोशल मीडिया पर भी तेजस्वी के समर्थक इस मुद्दे पर आवाज़ उठाने लगे।
आयोग की तत्काल प्रतिक्रिया
तेजस्वी यादव के इस बयान को चुनाव आयोग ने गंभीरता से लिया और महज कुछ घंटों में ही एक फैक्ट चेक जारी किया। आयोग ने उस वोटर लिस्ट का स्क्रीनशॉट साझा किया जिसमें तेजस्वी यादव का नाम, उम्र, लिंग, पता और निर्वाचन क्षेत्र की पूरी जानकारी दर्ज थी। आयोग ने साफ किया कि तेजस्वी का नाम पटना जिले के दीघा विधानसभा क्षेत्र की सूची में शामिल है और इसमें कोई त्रुटि नहीं है।
तेजस्वी का दावा: संदेह या सियासी चाल?
तेजस्वी यादव द्वारा अचानक ऐसा बयान देना और फिर आयोग द्वारा उसके ठीक उलट जानकारी साझा करना, कई सवाल खड़े करता है। क्या यह एक जानबूझकर की गई राजनीतिक रणनीति थी जिससे चुनाव आयोग पर दबाव बनाया जा सके? या फिर यह किसी स्थानीय स्तर पर हुई भूल की वजह से हुआ? फिलहाल तेजस्वी की ओर से आयोग के जवाब पर कोई प्रतिकिया नहीं आई है।
सियासी प्रतिक्रिया
भाजपा और जदयू के नेताओं ने तेजस्वी यादव के इस बयान को “जनता को भ्रमित करने की कोशिश” करार दिया है। भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने कहा, “तेजस्वी यादव खुद को हाशिए पर जाते देख बेतुके बयान दे रहे हैं।”
वहीं, राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि “अगर कोई तकनीकी गलती हुई थी तो उसे स्वीकार किया जाना चाहिए, लेकिन आयोग को भी इस मसले को पारदर्शी ढंग से जनता के सामने रखना चाहिए।”
डिजिटल वोटर लिस्ट और पारदर्शिता
यह पूरा मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि पारदर्शिता और डिजिटल प्रक्रियाओं का क्या महत्व है। चुनाव आयोग द्वारा समय रहते जवाब देना यह दर्शाता है कि संस्थान अब डिजिटल माध्यमों से फैक्ट चेक करने और गलत सूचनाओं का खंडन करने में पहले से ज्यादा सक्रिय हो गया है।
मतदाता जागरूकता का संदेश
इस घटनाक्रम से आम मतदाताओं को भी यह संदेश जाता है कि चुनाव से पहले हर मतदाता को खुद यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज है या नहीं। चुनाव आयोग ने भी मतदाताओं से अपील की है कि वे राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (https://www.nvsp.in/) पर जाकर अपने नाम की पुष्टि कर सकते हैं।
बिहार की राजनीति में बयानबाज़ी कोई नई बात नहीं, लेकिन जब दावे तथ्यों के विपरीत निकलते हैं, तो जनता में विश्वास की कमी पैदा होती है। तेजस्वी यादव का यह दावा न केवल गलत साबित हुआ, बल्कि इससे यह भी उजागर हुआ कि चुनाव आयोग कितनी तेजी से गलत सूचनाओं का जवाब देने में सक्षम है। आने वाले चुनावों में ऐसे मुद्दे और भी सामने आ सकते हैं, लेकिन सच और तथ्य ही जनता का मार्गदर्शन करेंगे।