
*केजरीवाल ने जिस कांग्रेस प्रत्याशी के लिए घर-घर मांगा था वोट, अब उसने ही AAP को घेरा; लगाए गंभीर आरोप*
यह खबर दिल्ली की सियासत में एक बार फिर हलचल मचा रही है, क्योंकि कांग्रेस नेता उदित राज ने आप (आम आदमी पार्टी) और अरविंद केजरीवाल पर सीधे-सीधे गंभीर आरोप लगाए हैं — और ये हमला तब और खास हो जाता है जब याद दिलाया जाए कि कुछ ही समय पहले केजरीवाल ने खुद कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे थे।
केजरीवाल ने मांगे थे कांग्रेस के लिए वोट, अब मिली “राजनीतिक चुभन”?
लोकसभा चुनावों के दौरान विपक्षी एकता दिखाने की कोशिश में अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया था, खासकर दिल्ली में I.N.D.I.A. गठबंधन के तहत। लेकिन अब उन्हीं कांग्रेस नेताओं में से एक, उदित राज, केजरीवाल और आप के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं।
उदित राज के आरोप क्या हैं?
1. भाजपा-आरएसएस से संबंध
उदित राज ने कहा –
2. दलित विरोधी मानसिकता
उन्होंने अरविंद केजरीवाल को दलित विरोधी बताते हुए कहा कि केजरीवाल सामाजिक न्याय के खिलाफ काम करते हैं।
3. AAP की निष्क्रियता पर हमला
उदित राज का यह भी दावा है कि आप के नेता सिर्फ लोकप्रियता और प्रचार में व्यस्त रहते हैं, जबकि असली सामाजिक संघर्षों से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
बात कहां से शुरू हुई?
यह पूरा विवाद आप सांसद संजय सिंह के एक बयान से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर कुछ टिप्पणी की थी। उसी के जवाब में उदित राज ने हमला बोला और AAP को भाजपा की “बी टीम” करार देने का प्रयास किया।
🤝 गठबंधन की गांठें ढीली?
इस प्रकरण से I.N.D.I.A. गठबंधन के अंदर खटास का संकेत मिल रहा है। जहां आम आदमी पार्टी ने कई मौकों पर कांग्रेस से सहयोग मांगा है, वहीं अब कांग्रेस के नेता सीधे AAP की वैचारिक साख और उत्पत्ति पर ही सवाल उठा रहे हैं।
विश्लेषण: क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत हमला है या गहराता राजनीतिक फासला?
यह बयान सिर्फ एक नेता की व्यक्तिगत राय नहीं दिखती, बल्कि कांग्रेस और AAP के बीच चल रही सहयोग की पेचीदगी को उजागर करती है।
दोनों पार्टियों के बीच आदर्श और कार्यशैली में अंतर लंबे समय से है, जिसे 2024 के चुनावी समझौतों ने ढकने की कोशिश की थी — लेकिन अब बोलने लगे हैं दरारें।
उदित राज के आरोप सिर्फ अरविंद केजरीवाल पर निजी हमले नहीं हैं, बल्कि ये आम आदमी पार्टी की वैचारिक ईमानदारी और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल हैं। इससे साफ है कि विपक्षी गठबंधन के भीतर मतभेद खत्म नहीं हुए हैं, बल्कि अब और खुलकर सामने आने लगे हैं।