
रूस के कामचटका में लगातार तीन भूकंप, सुनामी अलर्ट जारी, लोगों में दहशत का माहौल
कामचटका | एजेंसी
शनिवार को रूस के पूर्वी हिस्से में प्रकृति का भयावह रूप देखने को मिला, जब कुछ ही घंटों के अंदर लगातार तीन बार धरती कांपी। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंस (GFZ) के अनुसार, यह तीनों भूकंप कामचटका प्रायद्वीप के पास समुद्र में आए, जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.5, 6.0 और 5.8 मापी गई। झटकों के बाद प्रशांत महासागर के तटीय इलाकों में सुनामी अलर्ट जारी कर दिया गया। फिलहाल किसी बड़े जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन इलाके में दहशत का माहौल है और प्रशासन हाई अलर्ट पर है।
तीन घंटे में तीन झटके, समुद्र की ओर भागे लोग
स्थानीय समयानुसार शनिवार तड़के पहला झटका आया, जिसके बाद दो और झटकों ने लोगों को पूरी तरह दहशत में डाल दिया। झटकों के बाद कामचटका के कई इलाकों में लोग डर के मारे घरों से बाहर निकल आए और खुले स्थानों में जमा हो गए। तटीय इलाकों में लोग ऊंचाई की ओर भागते देखे गए, क्योंकि प्रशासन ने तुरंत सुनामी की चेतावनी जारी कर दी थी।
कामचटका में सबसे ज्यादा असर पेत्रोपावलोव्स्क-कामचात्स्की, अवाचिंस्की खाड़ी और उत्तरी पूर्वी तटीय क्षेत्रों में देखा गया। कुछ घरों में हल्की दरारें आने और बिजली बाधित होने की भी खबरें आई हैं।
जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंस (GFZ) और अमेरिका के यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने इन भूकंपों की पुष्टि की है। दोनों संस्थानों का कहना है कि यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेट्स की सीमा पर स्थित है, जिससे यहां भूकंपीय गतिविधि आम है, लेकिन इस बार तीन तीव्र झटकों का आना असामान्य घटनाक्रम है।
GFZ के अनुसार, भूकंप का केंद्र समुद्र तल से करीब 10 किलोमीटर गहराई में था। वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्री केंद्र वाला भूकंप विशेष रूप से खतरनाक होता है, क्योंकि इससे सुनामी आने की संभावना अधिक होती है ।
सुनामी अलर्ट: एहतियात के तौर पर अलार्म बजाए गए
भूकंप के कुछ ही मिनटों में प्रशांत महासागर के तटीय इलाकों में अलर्ट सिस्टम ने चेतावनी जारी की। रूस के मौसम विभाग और आपात सेवा मंत्रालय (EMERCOM) ने तुरंत लोगों को समुद्र से दूर रहने और ऊंचाई वाले क्षेत्रों की ओर जाने की सलाह दी।
हालांकि, अब तक किसी बड़े जलस्तर की वृद्धि की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एहतियातन तटीय गांवों में सभी स्कूल बंद कर दिए गए हैं, और वहां राहत और बचाव दलों को तैनात कर दिया गया है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया: “जैसे जमीन फटने वाली थी”
स्थानीय निवासियों ने भूकंप के दौरान के क्षणों को बेहद भयावह बताया। एक स्थानीय नागरिक इगोर फेडोरोव ने मीडिया को बताया, “हम सब सो रहे थे, तभी ऐसा लगा जैसे जमीन फटने वाली हो। अलमारियों से सामान गिरने लगा, बिजली चली गई, और फिर मोबाइल पर अलर्ट आया कि सुनामी आ सकती है। हम तुरंत बच्चों को लेकर बाहर निकल गए।”
सोशल मीडिया पर भी कामचटका के लोगों ने भूकंप के वीडियो और तस्वीरें शेयर की हैं, जिनमें घरों के फर्नीचर गिरते, लाइटें झूलती और लोग बाहर भागते नजर आ रहे हैं।
प्रशासन की तैयारी: सेना और आपात टीमें तैनात
रूसी प्रशासन ने तुरंत आपातकालीन प्रतिक्रिया शुरू कर दी। EMERCOM ने बताया कि तटीय क्षेत्रों में विशेष बचाव दल, स्वास्थ्य कर्मी, और पुलिस तैनात कर दिए गए हैं। अस्पतालों को भी अलर्ट पर रखा गया है।
स्थानीय गवर्नर ने कहा है कि “स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन हम कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। लोगों से अपील है कि वे आधिकारिक निर्देशों का पालन करें और घबराएं नहीं।”
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: यह भूगर्भीय प्रक्रिया का हिस्सा
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार कामचटका क्षेत्र तीन बड़ी टेक्टोनिक प्लेट्स – पैसिफिक, नॉर्थ अमेरिकन और ओखोत्स्क – के संगम पर स्थित है। ऐसे क्षेत्रों में भूकंप सामान्य हैं, लेकिन लगातार तीन तीव्र झटके इस बात का संकेत हो सकते हैं कि प्लेट्स के बीच अधिक ऊर्जा इकट्ठा हो चुकी थी, जो अब एक साथ निकली है।
रूस के भूविज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ एलेक्सी पेत्रोव ने बताया कि “फिलहाल तो यह एक पृथक घटना है, लेकिन अगर ऐसे झटके दोबारा आते हैं, तो बड़ा भूकंप आने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए निगरानी जरूरी है।
अब तक कोई हताहत नहीं, पर डर कायम
राहत की बात यह है कि इन झटकों में किसी की मौत या गंभीर रूप से घायल होने की कोई खबर नहीं है। प्रशासन ने सभी संरचनाओं की जांच शुरू कर दी है, विशेषकर पुल, स्कूल, अस्पताल और तटीय बांधों की।
हालांकि, लोगों के मन में अभी भी डर बना हुआ है। कई लोग घरों में वापस लौटने से कतरा रहे हैं और सार्वजनिक सभागारों, स्कूल हॉल या चर्च में शरण ले रहे हैं।
रूस के कामचटका क्षेत्र में आए यह तीन भूकंप और उसके बाद जारी सुनामी चेतावनी इस बात की याद दिलाते हैं कि प्रकृति की ताकत को कभी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। चाहे तकनीक कितनी भी आगे बढ़ जाए, ऐसे प्राकृतिक आपदाओं के सामने इंसान की तैयारी ही उसका सबसे बड़ा हथियार है।
सरकार, वैज्ञानिकों और आम जनता – तीनों की सजगता ही ऐसे हालात में जान-माल की रक्षा कर सकती है।