
आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, वृंदावन में 10 लाख भक्त: मथुरा में सोने से बनाए गए ठाकुर जी के वस्त्र; ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की थीम पर सजा मंदिर।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे देशभर में हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। विशेष रूप से भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा और उनकी लीलाभूमि वृंदावन में लाखों श्रद्धालु दर्शन और झांकियों के लिए उमड़े हैं। पुलिस-प्रशासन की ओर से भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं, वहीं मंदिरों में भव्य सजावट और झांकियों ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया है। इस बार मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर में ठाकुर जी को विशेष सोने के वस्त्र पहनाए गए हैं, जबकि वृंदावन के प्रमुख बांके बिहारी मंदिर और अन्य मंदिरों में भव्य झांकियां सजाई गई हैं।
वृंदावन में भक्तों का सैलाब
वृंदावन में जन्माष्टमी के अवसर पर देश-विदेश से आए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। अनुमान है कि यहां करीब 10 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। जगह-जगह CCTV कैमरे लगाए गए हैं और 5,000 से अधिक पुलिसकर्मी और स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं।
मथुरा में सोने से बने ठाकुर जी के वस्त्र
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर में इस बार विशेष आकर्षण सोने से बने वस्त्र हैं। कारीगरों ने महीनों की मेहनत के बाद इन वस्त्रों को तैयार किया है। जन्माष्टमी के दिन ठाकुर जी को इन वस्त्रों से सजाया गया है और दर्शन के लिए भक्तों में विशेष उत्साह है। मंदिर परिसर को फूलों और रोशनी से दुल्हन की तरह सजाया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर की थीम पर सजावट
इस बार जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों की सजावट में देशभक्ति का रंग भी देखने को मिला। मथुरा के कई मंदिरों को हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की थीम पर सजाया गया है। इसमें भारतीय सेना की वीरता और शौर्य को दिखाने वाली झांकियां बनाई गई हैं। श्रद्धालुओं ने इन झांकियों को देखकर देशभक्ति और अध्यात्म का अनूठा संगम महसूस किया।
मुंबई, दिल्ली और अन्य शहरों में धूम
केवल मथुरा-वृंदावन ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है। मुंबई में दही-हांडी की परंपरा के तहत गोविंदों की टोली ऊंची-ऊंची मटकी फोड़कर भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण कर रही है। वहीं दिल्ली के प्रमुख मंदिरों—इस्कॉन, बिड़ला मंदिर और झंडेवालान मंदिर में विशेष झांकियां और भजन-संध्या का आयोजन किया गया है।
प्रशासन की सख्त निगरानी
भीड़ को देखते हुए मथुरा और वृंदावन में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर यात्रियों की विशेष चेकिंग की जा रही है। अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है और आपातकालीन सेवाओं को बढ़ा दिया गया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ भक्तों की सुविधा का भी ध्यान रखा गया है ताकि किसी को परेशानी न हो।
भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम
जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों में दिनभर भजन-कीर्तन का आयोजन हो रहा है। देशभर से आए भजन गायक और कथावाचक इस पर्व को और विशेष बना रहे हैं। वृंदावन की गलियों में ‘हरे कृष्णा… हरे रामा’ की गूंज सुनाई दे रही है। जगह-जगह रासलीला और नाटक भी आयोजित किए जा रहे हैं जिनमें भगवान कृष्ण के जीवन प्रसंगों को प्रदर्शित किया जा रहा है।
आध्यात्म और पर्यटन का संगम
हर साल की तरह इस बार भी जन्माष्टमी के अवसर पर हजारों विदेशी पर्यटक वृंदावन पहुंचे हैं। खासकर इस्कॉन मंदिर में विदेशियों की बड़ी संख्या आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। उनके लिए यह सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक अनुभव भी है। होटल और धर्मशालाओं में कमरों की भारी मांग के चलते पर्यटकों को कई बार जगह ढूंढने में परेशानी झेलनी पड़ रही है।
डिजिटल माध्यम से दर्शन
जो श्रद्धालु भीड़ के कारण मथुरा और वृंदावन नहीं पहुंच पा रहे हैं, उनके लिए मंदिर प्रशासन ने ऑनलाइन प्रसारण की व्यवस्था की है। यूट्यूब और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ठाकुर जी के विशेष दर्शन का लाइव टेलीकास्ट किया जा रहा है, जिसे लाखों लोग घर बैठे देख रहे हैं।
व्रत और पूजा की परंपरा
जन्माष्टमी पर भक्त उपवास रखते हैं और मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। इस अवसर पर पंचामृत स्नान, विशेष पूजन और भोग लगाने की परंपरा है। मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में 56 भोग लगाए गए हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह समाज को एकजुट करने वाला उत्सव भी है। इस बार जब मथुरा-वृंदावन के मंदिरों ने भगवान की लीलाओं के साथ देशभक्ति को भी सजावट में शामिल किया, तो यह उत्सव और खास बन गया। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था, भक्ति और उल्लास ने जन्माष्टमी को भव्य और ऐतिहासिक बना दिया है।