देवघर। बाबा बैद्यनाथ की पावन नगरी देवघर में आध्यात्मिक उत्साह और धार्मिक आस्था के बीच नौ दिवसीय अतिरुद्र महायज्ञ का विधिवत शुभारंभ मंगलवार की सुबह भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया। देवघर स्थित झोंसागढ़ी गौशाला परिसर से आरंभ हुई इस कलश यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु, महिलाएं, युवतियां तथा आयोजन समिति के सदस्यों ने भाग लिया। पवित्र जल से भरे कलश को सिर पर धारण किए महिलाओं ने मंगल गीत गाते हुए यात्रा को दिव्य एवं सौम्य वातावरण प्रदान किया।

सुबह से ही झोंसागढ़ी परिसर भक्तों से भर गया था। कलश स्थापना, पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चारण के बाद यात्रा का शुभारंभ हुआ। परंपरागत वेशभूषा से सुसज्जित महिलाओं का समूह, भजन-कीर्तन की टोली और भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान विष्णु सहित विभिन्न धार्मिक पात्रों की झांकियों ने यात्रा को भव्य और अद्वितीय स्वरूप दिया। यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों—बालाबादी रोड, कॉलेज रोड, बिलासी चौक, कोर्ट रोड होते हुए यज्ञ स्थल तक पहुंची।
कलश यात्रा के दौरान शहर का माहौल आध्यात्मिक रंग में रंग गया। जगह-जगह स्थानीय लोगों ने कलश धारण किए भक्तों का स्वागत किया। डीजे पर बज रहे भजन, ढोल-नगाड़ों की थाप और धार्मिक नारों ने पूरे क्षेत्र को ऊर्जा से भर दिया। महिलाएं ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष के साथ आगे बढ़ती रहीं। श्रद्धालुओं में इस महायज्ञ को लेकर उत्साह और भक्ति का विशेष माहौल देखने को मिला।
आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि बाबा बैद्यनाथ धाम में आयोजित यह नौ दिवसीय अतिरुद्र महायज्ञ संपूर्ण समाज की शांति, समृद्धि और कल्याण के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। समिति के अनुसार, आने वाले नौ दिनों तक प्रतिदिन वैदिक विधि-विधान से भगवान शंकर की विशेष आराधना, रुद्राभिषेक, हवन, यज्ञ, धार्मिक प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भजन संध्या का आयोजन होगा। देशभर के प्रतिष्ठित आचार्य एवं विद्वान इस अनुष्ठान में भाग ले रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अतिरुद्र महायज्ञ, भगवान शिव की सबसे शक्तिशाली और दुर्लभ पूजाओं में से एक है, जो रुद्र के 11 रूपों की आराधना को समर्पित होती है। शिवपुराण के अनुसार, इस यज्ञ के आयोजन से समाज में सकारात्मक ऊर्जा, शांति, आरोग्य तथा सुख-समृद्धि का संचार होता है। इसी उद्देश्य से देवघर के श्रद्धालुओं ने एकजुट होकर इस दिव्य आयोजन को आगे बढ़ाया है।
दूसरी ओर, यज्ञ स्थल पर सुरक्षा और व्यवस्थाओं का भी पुख्ता प्रबंध किया गया है। जिला प्रशासन, पुलिस विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सहयोग से भीड़ नियंत्रण, वाहनों की आवाजाही, मेडिकल सहायता और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया है। मुख्य द्वार पर सुरक्षा जांच, परिसर में सीसीटीवी कैमरे, चिकित्सा टीम, एंबुलेंस और जल-व्यवस्था की उचित सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
यज्ञ स्थल को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। विशाल पंडाल, शिव-पार्वती की विशेष प्रतिमा, वेदी, हवन कुंड और मंच को कलात्मक ढंग से तैयार किया गया है। रोशनी और रंगीन फूलों की सजावट से पूरा परिसर दैवीय अनुभूति से भर उठा है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में सुबह से ही यज्ञ स्थल पर दर्शन और पूजा के लिए पहुंच रहे हैं।
आयोजन समिति के एक सदस्य ने बताया कि प्रतिदिन सुबह 5 बजे मंगल आरती और वेदपाठ से कार्यक्रम की शुरुआत होगी। दोपहर में प्रवचन सत्र और शाम को भजन संध्या तथा संकीर्तन का विशेष आयोजन किया जाएगा। इसके लिए देश के सुप्रसिद्ध भजन गायक भी देवघर पहुंचेंगे। अंतिम दिन प्रातःकाल पूर्णाहुति, विशाल भंडारा और शोभायात्रा के साथ कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस प्रकार का आयोजन न केवल देवघर की धार्मिक परंपरा को आगे बढ़ाता है, बल्कि सामाजिक एकता और आध्यात्मिक चेतना को भी मजबूत करता है। अतिरुद्र महायज्ञ जैसे कार्यक्रम देवघर की पहचान को और सुदृढ़ बनाते हैं। इस कार्यक्रम की वजह से शहर में धार्मिक पर्यटन भी बढ़ रहा है, जिससे स्थानीय व्यवसायियों को लाभ होगा।
यज्ञ के पहले दिन ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जिससे पूरा परिसर गूंज उठा। बाबा बैद्यनाथ की पावन नगरी में आई इस आध्यात्मिक लहर ने श्रद्धालुओं को भक्ति के सागर में डुबो दिया। भक्तों का मानना है कि ऐसे आयोजन जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं और मन को शांति प्रदान करते हैं।
अतिरुद्र महाय्ञ की यह शुरुआत देवघर की धार्मिक आस्था, संस्कृति और परंपरा का शानदार प्रदर्शन है। आने वाले दिनों में यह महायज्ञ और भी भव्य रूप लेगा, ऐसा श्रद्धालुओं का कहना है। यज्ञ स्थल पर भक्तों की बढ़ती भीड़ यह बताती है कि देवघर में यह आयोजन एक नए अध्याय की शुरुआत है। शहर के लोगों में उत्साह और भक्ति का जोश लगातार बढ़ता जा रहा है।
