भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2025-26 में एक बार फिर अपनी मजबूती और संभावनाओं का स्पष्ट संदेश दिया है। दूसरी तिमाही (Q2) के लिए जारी ताज़ा अनुमान बताते हैं कि वास्तविक GDP में 8.2% की तेज रफ्तार वृद्धि दर्ज की गई है, जो पिछले वित्त वर्ष इसी अवधि की 5.6% वृद्धि की तुलना में 2.6% अधिक है। यह उछाल न केवल विश्लेषकों और वैश्विक वित्तीय एजेंसियों के अनुमान से ऊपर है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों के बावजूद एक मजबूत गति से आगे बढ़ रही है।

सरकार ने इसे “नए भारत के आर्थिक आत्मविश्वास और सुधारों के सकारात्मक प्रभाव” का प्रमाण बताया है, वहीं अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वर्तमान तिमाही की यह रफ्तार आने वाले महीनों में निवेश, खपत और निर्यात तीनों मोर्चों पर मजबूत संकेत दे सकती है।
GDP ग्रोथ क्यों है खास?
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में लगातार शामिल रहा है, लेकिन 8% से अधिक की वृद्धि दर किसी भी देश के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जाती है। यह वृद्धि कई कारणों से अहम है:
1. वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच मजबूत प्रदर्शन
जहां यूरोप, चीन और अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं विकास की धीमी गति से जूझ रही हैं, वहीं भारत का 8.2% की रफ्तार से आगे बढ़ना यह दर्शाता है कि देश की घरेलू अर्थव्यवस्था परिणाम देने की क्षमता रखती है।
2. निवेश में बढ़ोतरी और कैपेक्स का असर
सरकारी पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पिछले दो वर्षों से लगातार बढ़ रहा है। सड़कों, रेल, मेट्रो, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में बड़ी मात्रा में निवेश ने रोजगार और मांग दोनों को बढ़ाया है। इसका सीधा प्रभाव GDP पर देखने को मिला।
3. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की शानदार वापसी
इस तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग PMI और उत्पादन गतिविधि दोनों में वृद्धि दर्ज हुई है। डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल निर्माण और ऑटो सेक्टर में डबल-डिजिट ग्रोथ देखने को मिली, जिसने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी।
किन सेक्टर्स ने GDP को दी उड़ान?
सर्विस सेक्टर – विकास का इंजन
भारत का सर्विस सेक्टर पहले से ही GDP में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। Q2 में रिटेल, लॉजिस्टिक्स, IT सेवाओं, पर्यटन और वित्तीय सेवाओं में तेज वृद्धि देखी गई।
कृषि क्षेत्र – चुनौतियों के बावजूद स्थिर
असमान बारिश और जल संकट की स्थिति के बावजूद, कृषि क्षेत्र ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया। सरकार की नई कृषि नीतियों और तकनीकी निवेश ने इसमें मदद की।
निर्यात – वैश्विक दबाव कम हुआ
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार वैश्विक मांग में मामूली सुधार देखने को मिला। विशेष रूप से पेट्रोकेमिकल्स, इंजीनियरिंग गुड्स और इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट में तेजी आई।
अनुमान से बेहतर क्यों रहा GDP?
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों—IMF, वर्ल्ड बैंक, ADB—ने भारत की GDP वृद्धि का अनुमान 6.5%–7% के बीच रखा था। लेकिन वास्तविक आंकड़ा 8.2% पहुंच गया। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं:
खपत में वृद्धि: त्योहारों के सीजन में रिकॉर्ड बिक्री
उद्योगों में उत्पादन वृद्धि: कई सेक्टर्स में क्षमता उपयोग 80% के पार
स्टार्टअप और MSME सेक्टर में तेजी: डिजिटल इंडिया और सस्ते फिनटेक समाधान
निवेश में उछाल: निजी निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ा
सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा:
“यह विकास दर बताती है कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर, मजबूत और भविष्य के लिए तैयार है। यह सुधारों, बुनियादी ढांचे के विस्तार और डिजिटल क्रांति का सम्मिलित परिणाम है।”
नीति आयोग के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह रफ्तार जारी रही तो भारत आने वाले वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ सकता है।
लेकिन चुनौतियां भी बड़ी हैं
हालांकि GDP ग्रोथ मजबूत है, लेकिन कई चुनौतियां अभी भी सामने हैं:
महंगाई और खाद्य कीमतों का दबाव
बेरोजगारी के आंकड़ों में अभी सुधार की गुंजाइश
वैश्विक स्तर पर तेल कीमतों का उतार-चढ़ाव
चीन और यूरोप में सुस्ती से निर्यात पर असर
अर्थशास्त्री चेतावनी देते हैं कि विकास दर स्थिर रखने के लिए सरकार को उपभोक्ता मांग को और प्रोत्साहित करना होगा।
आगे क्या उम्मीद? (Future Outlook)
विश्लेषकों का मानना है कि:
Q3 में वृद्धि 7–7.5% के आसपास रह सकती है
फेस्टिव सीजन की मांग अगले तिमाही को मजबूती देगी
बजट 2026 में मध्यम वर्ग के लिए टैक्स राहत और व्यवसायों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं आ सकती हैं
ग्लोबल मार्केट्स में स्थिरता बनी तो एक्सपोर्ट और बढ़ेगा
कुल मिलाकर, भारत की आर्थिक यात्रा इस समय मजबूत और स्थिर नींव पर खड़ी दिखाई देती है।
