Mobile Addiction Study Report: आज के समय में स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा हिस्सा बन चुका है। काम, पढ़ाई, मनोरंजन, सोशल मीडिया और ऑनलाइन सुविधा—सब कुछ मोबाइल पर निर्भर हो गया है। लेकिन कई विशेषज्ञों और हाल ही में सामने आई एक स्टडी के अनुसार यह सुविधा धीरे-धीरे लोगों को मानसिक रूप से बीमार बना रही है। खासकर युवाओं और बच्चों में मोबाइल की लत इतनी बढ़ गई है कि कुछ घंटों तक फोन हाथ में न हो तो बेचैनी, तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। इस स्टडी में बताया गया है कि मोबाइल एडिक्शन केवल आदत नहीं, बल्कि एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है।

मोबाइल की लत कैसे बन रही है मानसिक बीमारी
स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग दिमाग के उन हिस्सों को प्रभावित करता है जो एकाग्रता, निर्णय क्षमता, नींद और भावनात्मक संतुलन को नियंत्रित करते हैं। लंबे समय तक लगातार स्क्रीन देखने से दिमाग की कार्यप्रणाली में नकारात्मक बदलाव होता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि मोबाइल एडिक्शन व्यक्ति को धीरे-धीरे वास्तविक दुनिया से दूर कर देता है और उसे एक वर्चुअल दुनिया का आदी बना देता है, जिसका असर सोचने-समझने की क्षमता पर पड़ता है। स्टडी में पाया गया कि लगातार 6–8 घंटे फोन इस्तेमाल करने वालों में अवसाद, चिंता, भूलने की आदत और चिड़चिड़ापन ज्यादा बढ़ता है।
युवाओं में सबसे तेजी से बढ़ रहा मोबाइल एडिक्शन
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 15 से 35 वर्ष की उम्र के बीच मोबाइल एडिक्शन सबसे तेजी से बढ़ रहा है। सोशल मीडिया नोटिफिकेशन, रील्स, गेमिंग और चैटिंग की आदत दिमाग में डोपामाइन रिलीज करती है। यही “डोपामाइन हाई” बार-बार फोन उठाने की मजबूरी पैदा करता है, जिससे व्यक्ति लगातार मोबाइल चेक करने का आदी हो जाता है। यही कारण है कि कई लोग सुबह उठते ही सबसे पहले फोन चेक करते हैं और रात में सोने से ठीक पहले तक मोबाइल देख रहे होते हैं।
पढ़ाई पर पड़ रहा सबसे ज्यादा बुरा असर
स्टडी में यह भी दर्ज है कि मोबाइल एडिक्शन से विद्यार्थियों की पढ़ाई पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। लगातार नोटिफिकेशन और सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग से एकाग्रता खत्म हो जाती है। विद्यार्थी कुछ मिनट पढ़ने के बाद ही मन न लगने की शिकायत करते हैं। मस्तिष्क की फोकस करने की क्षमता कमजोर होती जा रही है और याददाश्त पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल एडिक्शन की वजह से बच्चों का आउटपुट कम हो रहा है और उनका सीखने का स्तर गिर रहा है।
दिमाग पर लगातार पड़ने वाले साइड इफेक्ट्स
स्टडी में मोबाइल एडिक्शन के कई खतरनाक साइड इफेक्ट्स की सूची दी गई है:
1. मानसिक थकान और तनाव में बढ़ोतरी
2. अनिद्रा और नींद की गुणवत्ता खराब होना
3. ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में लगातार कमी
4. दूसरों से कम बात करना और सामाजिक दूरी
5. माइग्रेन, आंखों में दर्द और सिरदर्द की समस्या
6. अवसाद, चिंता और चिड़चिड़ापन बढ़ना
7. वास्तविक जीवन की गतिविधियों में रुचि कम होना
विशेषज्ञ यह भी चेतावनी देते हैं कि लम्बे समय तक मोबाइल की लत रहने पर व्यक्ति का आत्मविश्वास भी कम हो सकता है और वह निर्णय लेने में सक्षम नहीं रह पाता।
कैसे पहचानें कि आप फोन के एडिक्ट हैं?
स्टडी के अनुसार, अगर आपको कुछ घंटे फोन न चलाने पर बेचैनी होने लगती है, नींद में कमी आती है, खाना खाते समय भी मोबाइल देखते हैं, हर नोटिफिकेशन तुरंत चेक करने की इच्छा होती है, या अकेले रहने से डर लगता है—तो यह मोबाइल एडिक्शन के संकेत हैं। ऐसी स्थिति में मोबाइल उपयोग कम करना, समय तय करके चलाना, डिजिटल डिटॉक्स करना और परिवार के साथ समय बिताना मददगार साबित हो सकता है।
