झारखंड में धान कटाई का मौसम इस बार किसानों के लिए किसी चुनौती से कम साबित नहीं हो रहा है। पकी हुई धान की सुगंध और भोजन की तलाश में जंगली हाथियों के झुंड लगातार गांवों की ओर बढ़ रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भय और असुरक्षा की स्थिति पैदा हो गई है। खेतों में तैयार खड़ी फसल हाथियों की पहली पसंद बन गई है, जिसके कारण किसान दिन-रात पहरा देने को मजबूर हैं।

7 दिनों में बड़ा नुकसान, 4 जिलों की 250 एकड़ फसल तबाह
पिछले एक सप्ताह में गढ़वा, गुमला, सिमडेगा और गिरिडीह जिलों में हाथियों की बढ़ती हलचल ने किसानों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।
इन जिलों में 250 एकड़ से अधिक तैयार धान की फसल को हाथियों ने रौंदकर पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। किसानों ने बताया कि हाथियों का झुंड देर रात खेतों में घुस जाता है और सुबह तक फसल को तहस-नहस कर देता है।
एक ओर मेहनत और निवेश से तैयार की गई फसल नष्ट हो रही है, वहीं दूसरी ओर किसान असहाय महसूस कर रहे हैं।
जनहानि भी बढ़ी, 5 लोगों की मौत और कई घायल
फसल नुकसान के साथ मानव जीवन पर खतरा भी तेजी से बढ़ा है।
पिछले दिनों हुई विभिन्न घटनाओं में 5 ग्रामीणों की हाथियों द्वारा कुचले जाने से मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य घायल हैं।
गांवों में शाम होते ही दहशत फैल जाती है और लोग घरों से बाहर निकलने में भी डर महसूस कर रहे हैं।
रात होते ही खेतों में पहुंच रहे हाथी
स्थानीय लोगों का कहना है कि हाथी अधिकतर रात के समय खेत-खलिहान में प्रवेश करते हैं।
घने जंगलों से निकलकर
फसल की महक से आकर्षित होकर
हाथियों का झुंड रातभर खेतों में घूमता रहता है
किसान अपने स्तर पर टॉर्च, ढोल, पटाखे और अन्य तरीकों से हाथियों को भगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इन प्रयासों का प्रभाव हमेशा सफल नहीं होता। हाथियों की बड़ी संख्या और उनका आक्रामक व्यवहार स्थिति को और गंभीर बना देता है।
किसानों की नींद हुई खराब, ग्रामीण कर रहे पहरा
कई गांवों में किसान समूह बनाकर रातभर खेतों के पास पहरा दे रहे हैं।
इस दौरान वे आग जलाकर थाली पीटकर सीटी बजाकर
हाथियों को दूर रखने की कोशिश करते हैं।
फिर भी हर रात खतरा बना रहता है।
वन विभाग की चुनौतियाँ बढ़ीं
वन विभाग की टीम लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रही है, लेकिन हाथियों का लंबी दूरी तक घूमना और अलग-अलग दिशाओं में फैलना नियंत्रण को कठिन बना रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में भोजन और पानी की कमी तथा पकी फसल की गंध हाथियों को गांवों की ओर खींच रही है।
सरकार से मुआवजे की मांग तेज
नुकसान झेल रहे किसान जल्द मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। कई ग्रामीण संगठनों ने सरकार से
फसल नुकसान का मूल्यांकन
मृतकों के परिवारों को सहायता
और हाथी-मानव संघर्ष रोकने के प्रभावी उपाय
जैसी मांगें उठाई हैं।
आगे की स्थिति और खतरा
विशेषज्ञों का अनुमान है कि धान कटाई का सीजन समाप्त होने तक हाथियों की गतिविधि और बढ़ सकती है।
किसानों को सतर्क रहने और समूह में खेतों की निगरानी करने की सलाह दी जा रही है।
यह समाचार स्थानीय ग्रामीणों, वन विभाग और उपलब्ध रिपोर्ट्स पर आधारित है। वास्तविक स्थिति क्षेत्र और समय के अनुसार बदल सकती है।
