झारखंड में नशीली दवाओं और कफ सिरप के गलत उपयोग को रोकने के लिए अब न्यायपालिका ने कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में कफ सिरप की अनियंत्रित बिक्री पर गंभीर चिंता जताते हुए साफ कहा है कि बिना डॉक्टर की लिखित पर्ची के किसी भी मेडिकल स्टोर में कफ सिरप की बिक्री अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अदालत ने राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग, औषधि नियंत्रक संगठन और जिला प्रशासन को तुरंत प्रभाव से कठोर कदम उठाने का निर्देश दिया है।

चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने कहा कि झारखंड में कफ सिरप, विशेषकर नशीली खांसी की दवाओं का दुरुपयोग लगातार बढ़ रहा है और यह युवाओं, किशोरों और यहां तक कि स्कूली बच्चों के लिए गंभीर खतरा बन गया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि डॉक्टर की पर्ची के बिना इन दवाओं की बिक्री न केवल अवैधानिक है बल्कि समाज के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है।
कफ सिरप के दुरुपयोग पर अदालत की गहरी चिंता
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कफ सिरप का सेवन अब केवल दवा के रूप में नहीं, बल्कि नशे के रूप में किया जा रहा है। कई रिपोर्टों और पुलिस जांच में सामने आया है कि खांसी के सिरप का उपयोग नशीले पदार्थ की तरह किया जा रहा है।
अदालत ने इस बढ़ती प्रवृत्ति को “सामाजिक संकट” बताते हुए कहा कि यदि समय रहते इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में इसकी स्थिति और भयावह हो सकती है।
न्यायालय ने टिप्पणी की कि:
कई मेडिकल स्टोर बिना पर्ची के खुलेआम सिरप बेच रहे हैं
युवाओं में इसकी लत तेजी से बढ़ रही है
नशे के लिए कफ सिरप की खपत में हाल के वर्षों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है
प्रशासन और निगरानी एजेंसियों की कार्रवाई पर्याप्त नहीं
अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है जब राज्य को इस मुद्दे पर कड़े कदम उठाने होंगे।
राज्य सरकार की कार्रवाई: कई ब्रांडों पर प्रतिबंध
हाईकोर्ट की सख्ती से पहले झारखंड सरकार ने भी नशीली क्षमता वाले कई कफ सिरप ब्रांडों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने स्वयं Coldrif, Repifresh और Relife जैसे ब्रांडों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था।
सरकार ने कहा था कि ये दवाएं:
स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं
बिना जरूरत अत्यधिक उपयोग में लाई जा रही हैं
नशे के उद्देश्य से बेची जा रही हैं
स्वास्थ्य मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी कीमत पर बच्चों और युवाओं को इस तरह के जोखिम में नहीं डाला जा सकता।
रांची जिला प्रशासन भी सख्त: बिना पर्ची बिक्री पर अब कार्रवाई
हाईकोर्ट के आदेश और राज्य सरकार की चेतावनी के बाद रांची जिला प्रशासन ने भी सभी दवा दुकानों को निर्देश दिया है कि:
बिना डॉक्टर के पर्चे के कोई भी कफ सिरप न बेचा जाए
CCTV निगरानी और स्टॉक रजिस्टर की जांच की जाएगी
उल्लंघन करने वाले मेडिकल स्टोर्स के खिलाफ लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई की जाएगी
प्रशासन ने कहा कि कई दुकानों में किशोरों को आसानी से कफ सिरप बेचा जा रहा था, जो गंभीर अपराध है।
क्यों बढ़ रहा है कफ सिरप का दुरुपयोग?
विशेषज्ञों का कहना है कि कफ सिरप में कोडीन जैसे तत्व होते हैं जिनका अत्यधिक सेवन नशीला प्रभाव देता है।
यही कारण है कि कई युवा और नशे की लत से ग्रस्त लोग इसे अवैध तरीके से खरीदकर सेवन करते हैं।
दुरुपयोग के पीछे मुख्य कारण हैं:
बाजार में आसान उपलब्धता
कम कीमत
कानून का ढीला पालन
मेडिकल स्टोर्स की लापरवाही
युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि लगातार कफ सिरप सेवन से लीवर, किडनी और नर्वस सिस्टम को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। कई मामलों में निर्भरता इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति अन्य नशीले पदार्थों की ओर भी बढ़ सकता है।
हाईकोर्ट ने क्या कदम सुझाए?
अदालत ने राज्य सरकार और एजेंसियों को निम्न कदम तुरंत लागू करने का निर्देश दिया:
1. डॉक्टर पर्ची अनिवार्य: कफ सिरप केवल प्रिस्क्रिप्शन पर ही बेचा जाए।
2. सभी मेडिकल दुकानों की निगरानी: लाइसेंस, स्टॉक, बिलिंग की जांच।
3. गैरकानूनी बिक्री पर FIR: दवा दुकानों पर तत्काल कार्रवाई।
4. स्कूल-कॉलेजों के आसपास दुकानों की विशेष जांच।
5. अवैध स्टॉक और सप्लाई चेन का खुलासा।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई मेडिकल दुकान नियमों का पालन नहीं करती है तो उसका लाइसेंस रद्द किया जाए।
सामाजिक प्रभाव को लेकर भी कोर्ट चिंतित
हाईकोर्ट ने कहा कि नशीली दवाओं की उपलब्धता न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है बल्कि:
अपराध बढ़ाती है
बच्चों का भविष्य खराब करती है
समाज में असामाजिक तत्वों की गतिविधियों को बढ़ावा देती है
कोर्ट ने इसे राज्य की “सामाजिक जिम्मेदारी” बताते हुए कठोर कदम उठाने को आवश्यकता बताया।
यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
झारखंड में पिछले कुछ वर्षों में नशीली दवाओं की तस्करी और दुरुपयोग में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
कफ सिरप की बड़े पैमाने पर अवैध बिक्री के कारण:
कई युवा नशे की गिरफ्त में आए
कई छात्रों का भविष्य बर्बाद हुआ
स्वास्थ्य समस्याओं के मामले बढ़े
अब हाईकोर्ट का आदेश राज्य के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित होगा जो नशीली दवाओं की रोकथाम की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
झारखंड हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल दवा दुकानों को नियंत्रित करने का आदेश है, बल्कि एक चेतावनी भी है कि यदि राज्य में नशीली दवाओं का दुरुपयोग नहीं रोका गया, तो आने वाले वर्षों में इसका प्रभाव और भी गंभीर हो सकता है।
अदालत, सरकार और प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई से उम्मीद है कि कफ सिरप की अवैध बिक्री पर रोक लगेगी और युवाओं को नशे के खतरे से बचाया जा सकेगा।
