झारखंड के चाईबासा जिले से एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है, जहां अंधविश्वास और सामाजिक तनाव ने एक वृद्ध दंपति की जान ले ली। बीती रात 72 वर्षीय सार्गिया बालमुचू और उनकी पत्नी 65 वर्षीय मुक्ता बालमुचू की उनके घर के आंगन में टांगी से गला रेतकर हत्या कर दी गई। प्रारंभिक अंदेशा है कि इस वारदात के पीछे डायन-बिसाही का शक, तथा पुराना विवाद मुख्य कारण हो सकता है। यह बर्बर घटना इलाके में फैले अंधविश्वास और सामाजिक असहिष्णुता की दर्दनाक तस्वीर पेश करती है।

सुबह खेत जाने गए ग्रामीण ने किया दिल दहला देने वाला खुलासा
घटना का खुलासा मंगलवार सुबह हुआ। बताया जाता है कि गांव का एक ग्रामीण रोज की तरह खेत की ओर जा रहा था। दंपति को खटिया पर लेटा देख उसने सामान्य समझकर अपना रास्ता जारी रखा। लेकिन करीब दो घंटे बाद लौटते समय उसने दोनों को आवाज लगाई। कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर उसे संदेह हुआ। जब उसने चादर हटाई, तो सामने का दृश्य उसे हिला देने वाला था — दोनों वृद्ध दंपति खून से लथपथ मृत पड़े थे, और गले पर टांगी के गहरे वार साफ दिखाई दे रहे थे।
उसने तुरंत शोर मचाकर ग्रामीणों को बुलाया। कुछ ही देर में सैकड़ों लोग घटनास्थल पर जमा हो गए और पूरे गांव में तनाव और भय का माहौल फैल गया। ग्रामीणों को विश्वास करना मुश्किल हो रहा था कि उनके बीच रहने वाले बुजुर्ग दंपति के साथ इतनी क्रूरता की जा सकती है।
डायन-बिसाही के शक और पुराने विवाद पर गहराया संदेह
ग्रामीणों ने बताया कि मृतक दंपति पर पिछले कुछ महीनों से डायन-बिसाही (जादू-टोने) का शक जताया जा रहा था। गांव में कई लोगों ने उनके खिलाफ शिकायतें भी की थीं और सामाजिक विवाद बढ़ता जा रहा था। बताया जाता है कि इसी विवाद को लेकर रविवार को गांव में एक बैठक भी हुई थी, जिसमें दंपति पर जुर्माना (पेनल्टी) लगाया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि दंपति ने जुर्माना देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद विवाद और गहरा गया।
पुलिस को शक है कि इसी जुर्माने, अंधविश्वास और आपसी रंजिश के चलते ही इस निर्मम हत्या को अंजाम दिया गया। चाईबासा और आसपास के इलाकों में अंधविश्वास से जुड़ी ऐसी घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं, जो स्थानीय प्रशासन के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं।
पुलिस ने की घटनास्थल की गहन जांच, कई संदिग्धों से पूछताछ
घटना की सूचना मिलते ही गुवा थाना प्रभारी नीतिश कुमार अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने घटनास्थल को सील करते हुए फॉरेंसिक जांच की कार्रवाई शुरू की। प्रारंभिक जांच में यह साफ हो गया कि हत्या अत्यंत नृशंस तरीके से की गई है। दंपति के गले पर किए गए वार और घटनास्थल की स्थिति से यह अनुमान है कि अपराधियों की संख्या एक से अधिक रही होगी और हत्या देर रात उनके सोते समय की गई।
पुलिस ने गांव के कई संदिग्धों को चिन्हित किया है और उनसे पूछताछ शुरू कर दी है। थाना प्रभारी ने बताया कि जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि क्या हत्या के पीछे केवल अंधविश्वास था या इसके मूल में कोई गहरी व्यक्तिगत रंजिश भी छिपी है।
अंधविश्वास और कुप्रथाओं का जहर: समाज के सामने कड़ा सवाल
झारखंड के कई क्षेत्रों में आज भी अंधविश्वास, टोना-टोटका और डायन-बिसाही के नाम पर हिंसा की घटनाएं सामने आती रहती हैं। सामाजिक जागरूकता की कमी, शिक्षा का अभाव और आपसी वैमनस्य अक्सर दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को जन्म देते हैं। इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि गांवों में अंधविश्वास के खिलाफ प्रशासनिक प्रयास और सामाजिक शिक्षा कितनी प्रभावी है।
कई सामाजिक संगठनों ने घटना की निंदा की है और सरकार से मांग की है कि ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
परिवार और ग्रामीण सदमे में, पूरे इलाके में दहशत
दंपति के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीण भी घटना से दहशत में हैं और रात में पहरा देने जैसे उपायों पर विचार कर रहे हैं। हर कोई इस बात से हैरान है कि गांव में रहने वाले साधारण, शांत स्वभाव के दंपति को इतनी क्रूरता से मौत के घाट कैसे उतार दिया गया।
यह घटना न केवल समाज में व्याप्त अंधविश्वास के घातक परिणामों की याद दिलाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि जागरूक समाज बनने के लिए अभी बहुत लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
यह रिपोर्ट स्थानीय सूचना स्रोतों, ग्रामीणों के बयान और प्रारंभिक पुलिस जांच पर आधारित है। Newsbag.in तथ्यों की सटीकता सुनिश्चित करने का प्रयास करता है, परंतु इसकी पूर्ण गारंटी नहीं देता। किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले पाठकों से स्वतंत्र रूप से जाँच करने की अपील है।
