पूर्व भारतीय ऑलराउंडर और टीम इंडिया के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री ने रांची दौरे के दौरान। विशेष बातचीत में भारतीय क्रिकेट की ऐतिहासिक यात्रा, 1983 विश्व कप का प्रभाव, कोचिंग के अनुभव और मौजूदा क्रिकेट पर अपनी बेबाक राय साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे भारतीय क्रिकेट का चेहरा पिछले चार दशकों में बदला और कैसे 1983 की जीत ने देश की सोच को बदलकर क्रिकेट को राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बना दिया।

1983 की विश्व कप जीत ने बदल दी भारतीय क्रिकेट की दिशा
रवि शास्त्री ने कहा कि वह केवल 20–21 साल के थे, जब भारत ने 1983 में विश्व कप जीता था। उन्होंने कहा कि उस ऐतिहासिक जीत ने देश के लोगों का नजरिया हमेशा के लिए बदल दिया। उनके शब्दों में, “उस दिन के बाद देश ने क्रिकेट और क्रिकेटरों को गंभीरता से लेना शुरू किया। भारत को विश्व पटल पर पहचान मिली और इस खेल का कद बढ़ गया। लॉर्ड्स में जो हुआ, उसने भारतीय क्रिकेट की दिशा बदल दी।”
भारत ने पिछले पांच वर्षों में शानदार क्रिकेट खेला
भारतीय टीम के मुख्य कोच (2017–2021) के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए शास्त्री ने कहा कि भारत ने पिछले पांच वर्षों में काफी उच्च स्तर का क्रिकेट खेला है। उनके अनुसार कोच के रूप में काम आसान नहीं था, क्योंकि हर मैच में प्रदर्शन का दबाव, आलोचना और अपेक्षाएं हमेशा साथ रहती हैं। उन्होंने कहा कि कोचिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाना और टीम को सकारात्मक माहौल देना है।
खराब प्रदर्शन पर टीम से बाहर होना स्वाभाविक
शास्त्री ने खिलाड़ियों पर प्रदर्शन के दबाव को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “अगर प्रदर्शन खराब हुआ तो आपको टीम से निकाला जा सकता है। इसलिए धैर्य, संचार कौशल और सही मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। खिलाड़ियों को जीत के लिए प्रेरित करना तभी संभव है, जब पूरी टीम एक दिशा में सोचकर आगे बढ़े।” उन्होंने बताया कि उन्होंने हमेशा खिलाड़ियों को यह सीख दी कि खेल को दबाव नहीं, आनंद की तरह लें।
पिछले 45 वर्षों में क्रिकेट में बड़े बदलाव
रवि शास्त्री ने बताया कि वह लगभग 45 वर्षों से क्रिकेट से जुड़े हुए हैं और इस दौरान उन्होंने क्रिकेट को बदलते समय, बदलती तकनीक और बदलती सोच के साथ विकसित होते देखा है। उनके अनुसार आज क्रिकेट पूरी तरह से पेशेवर हो चुका है और खिलाड़ियों के लिए फिटनेस, स्किल और तेज निर्णय क्षमता पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।
चयन प्रक्रिया पर शास्त्री ने रखी स्पष्ट राय
शमी जैसे बड़े खिलाड़ियों के चयन को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि चयनकर्ताओं की भूमिका बहुत अहम होती है। उन्होंने बताया कि जब वह कोच थे, तो वह सीधे किसी खिलाड़ी का नाम नहीं रखते थे, बल्कि चयनकर्ताओं से केवल आवश्यक कॉम्बिनेशन की मांग करते थे। उन्होंने कहा, “आप पूरे देश में घूमते हैं, फर्स्ट क्लास क्रिकेट देखते हैं, नई प्रतिभाओं को खोजते हैं। इसलिए टीम कॉम्बिनेशन बनाना आपकी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जसप्रीत बुमराह को पहले व्हाइट बॉल खिलाड़ी माना जाता था, पर आज वह रेड बॉल क्रिकेट का सबसे बड़ा नाम हैं। शास्त्री ने हंसते हुए कहा, “बुमराह तो दादा है।”
टीम की हार पर पूरी टीम जिम्मेदार
दक्षिण अफ्रीका द्वारा भारत को क्लीन स्वीप करने पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि हार के लिए कोई एक खिलाड़ी जिम्मेदार नहीं होता। यह पूरी टीम और टीम मैनेजमेंट का सामूहिक फैसला और सामूहिक जिम्मेदारी होती है। उन्होंने बताया कि किसी भी टीम का जीतना या हारना हमेशा टीम वर्क का परिणाम होता है, न कि किसी एक खिलाड़ी का
